कर्नाटक में ग्रेटर बेंगलुरु अथॉरिटी की पहली बैठक में मुख्यमंत्री का निर्देश
मुख्यमंत्री का बुनियादी सुविधाओं पर जोर
कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने ग्रेटर बेंगलुरु अथॉरिटी (जीबीए) की उद्घाटन बैठक की अध्यक्षता की। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिया कि शहर के निवासियों को आवश्यक बुनियादी सुविधाएं प्रदान की जाएं, जिसमें कचरे का उचित निपटान, यातायात जाम को कम करना और सड़कों का रखरखाव शामिल है।
शहर की सुंदरता और आय में वृद्धि
मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि शहर को स्वच्छ बनाए रखने, उसकी सुंदरता को बढ़ाने और जीबीए के अंतर्गत आने वाले सभी पांच नगर निगमों की आय में वृद्धि के लिए ठोस कदम उठाए जाने चाहिए। नवगठित ग्रेटर बेंगलुरु अथॉरिटी एक समन्वयक एजेंसी के रूप में कार्य करेगी, जबकि शहर का प्रशासन पांच नगर निगमों द्वारा संचालित होगा।
भाजपा का बैठक का बहिष्कार
जीबीए में 75 सदस्य शामिल हैं, जिनमें विधायकों, सांसदों और विधान परिषद के सदस्य शामिल हैं। हालांकि, भाजपा के सदस्यों ने शुक्रवार की बैठक का बहिष्कार किया, कांग्रेस सरकार पर आरोप लगाते हुए कि वह शहर को विभाजित कर रही है और संविधान के 74वें संशोधन का उल्लंघन कर रही है।
मुख्यमंत्री का कचरे के निपटान पर जोर
मुख्यमंत्री कार्यालय के एक बयान में सिद्धरमैया ने कहा, "सभी नगर आयुक्तों को अपने-अपने क्षेत्रों में कर संग्रह बढ़ाना चाहिए। कचरे का निपटान और स्वच्छता प्राथमिकता होनी चाहिए। फुटपाथों को यथासंभव चौड़ा बनाया जाना चाहिए। गुणवत्ता से किसी भी स्थिति में समझौता नहीं किया जाना चाहिए।"
राजनीतिक मकसद का खंडन
सिद्धरमैया ने स्पष्ट किया कि ग्रेटर बेंगलुरु प्राधिकरण के गठन का कोई राजनीतिक उद्देश्य नहीं है। उन्होंने कहा कि नागरिकों को सर्वोत्तम सुविधाएं और सुशासन प्रदान करने के लिए सभी को समन्वय के साथ काम करना चाहिए।
भाजपा नेताओं की प्रतिक्रिया
भाजपा नेता आर अशोक ने आरोप लगाया कि कांग्रेस सरकार बेंगलुरु को बांटने का प्रयास कर रही है। उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी सत्ता में लौटने पर शहर को फिर से एकजुट करेगी। उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि क्या सत्ता का विकेंद्रीकरण शहर को बांटने का मतलब है।