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कर्नाटक में आरएसएस गतिविधियों पर विवाद: प्रियांक खरगे की मांग और भाजपा की प्रतिक्रिया

कर्नाटक में मंत्री प्रियांक खरगे ने आरएसएस की गतिविधियों पर रोक लगाने की मांग की है, जिसके बाद भाजपा ने मल्लिकार्जुन खरगे की एक पुरानी तस्वीर साझा की। इस राजनीतिक विवाद ने दोनों पक्षों के बीच तीखी बहस को जन्म दिया है। प्रियांक ने भाजपा के दावों को झूठा बताया, जबकि मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने उचित कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। जानें इस विवाद के सभी पहलुओं के बारे में।
 

राजनीतिक विवाद की शुरुआत

कर्नाटक में मंत्री प्रियांक खरगे ने मुख्यमंत्री सिद्धारमैया को एक पत्र भेजकर सरकारी परिसरों में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की गतिविधियों पर रोक लगाने की मांग की है। पत्र में, ग्रामीण विकास और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री ने आरोप लगाया कि आरएसएस सरकारी स्कूलों, खेल के मैदानों और मंदिरों में शाखाएं और सभाएं आयोजित कर बच्चों और युवाओं में विभाजनकारी विचार फैला रहा है। उन्होंने मुख्यमंत्री से ऐसे कार्यक्रमों पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने का अनुरोध किया और इन्हें असंवैधानिक तथा राष्ट्रीय एकता के खिलाफ बताया।


भाजपा का जवाब

इस मांग के तुरंत बाद, कर्नाटक भाजपा ने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे की एक पुरानी तस्वीर साझा की, जिसमें वे 2002 में बेंगलुरु के नागवारा में आरएसएस के एक कार्यक्रम में शामिल हुए थे। भाजपा ने सोशल मीडिया पर लिखा कि प्रियांक खरगे आज आरएसएस की गतिविधियों को प्रतिबंधित करने की बात कर रहे हैं, लेकिन क्या वे भूल गए हैं कि उनके पिता ने उस समय आरएसएस के शिविर का दौरा किया था?


प्रियांक खरगे का स्पष्टीकरण

प्रियांक खरगे ने भाजपा के दावों को 'झूठा प्रचार' करार दिया और स्पष्ट किया कि उनके पिता ने अधिकारियों और समुदाय के प्रतिनिधियों के साथ शांति समिति की बैठक के बाद उस स्थल पर जाकर आरएसएस की सामाजिक सेवा गतिविधियों की सराहना की थी।


मुख्यमंत्री का बयान

मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने प्रियांक खरगे की मांग पर बागलकोट जिले में संवाददाताओं से कहा कि उन्होंने मुख्य सचिव को जांच करने और उचित कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने मुख्य सचिव को तमिलनाडु की तरह ही कार्रवाई करने के लिए कहा।