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कर्नाटक में आरएसएस के पथ संचलन को मिली अदालत से अनुमति

कर्नाटक के मंत्री प्रियंक खरगे ने बताया कि आरएसएस अपने 100 साल के इतिहास में पहली बार सरकार से अनुमति लेकर पथ संचलन करेगा। उच्च न्यायालय ने 16 नवंबर को 300 प्रतिभागियों और 50 सदस्यीय बैंड के साथ इस मार्च की अनुमति दी। जानें इस महत्वपूर्ण घटनाक्रम के बारे में और क्या है इसके पीछे की कहानी।
 

आरएसएस का ऐतिहासिक पथ संचलन

कर्नाटक के मंत्री प्रियंक खरगे ने बृहस्पतिवार को बताया कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) अपने 100 साल के इतिहास में पहली बार सरकार से अनुमति लेकर और कानून का पालन करते हुए पथ संचलन करेगा। यह बयान उस समय आया जब कर्नाटक उच्च न्यायालय ने कलबुर्गी में आरएसएस के संयोजक द्वारा दायर याचिका का निपटारा किया, जिसमें चित्तपुर शहर में पथ संचलन की अनुमति मांगी गई थी।


अदालत ने 16 नवंबर को 300 प्रतिभागियों और 50 सदस्यीय बैंड के साथ मार्च की अनुमति दी। खरगे ने सोशल मीडिया पर लिखा कि आरएसएस पहली बार स्पष्ट शर्तों के साथ सरकार से अनुमति लेकर मार्च निकालेगा।


उच्च न्यायालय ने चित्तपुर में पथ संचलन की अनुमति देने के लिए याचिका का निपटारा किया, जिसमें न्यायमूर्ति एम जी एस कमल ने कहा कि तहसीलदार ने पहले ही कुछ शर्तों के साथ अनुमति दी थी।


पिछले सप्ताह सरकार ने अदालत को सूचित किया था कि वह याचिकाकर्ता के प्रस्ताव पर सकारात्मक रूप से विचार करेगी। सुनवाई के दौरान, याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता ने कार्यक्रम की अनुमति देने के लिए अधिकारियों का आभार व्यक्त किया।


उन्होंने प्रतिभागियों की संख्या 300 से बढ़ाकर 600 करने और बैंड सदस्यों की संख्या 25 से बढ़ाकर 50 करने का अनुरोध किया। हालांकि, सरकार ने प्रतिभागियों की संख्या बढ़ाने का विरोध किया, यह कहते हुए कि यह संख्या पहले से निर्धारित थी।


न्यायालय ने केवल बैंड की संख्या बढ़ाने की अनुमति दी और प्रतिभागियों की संख्या को 300 पर बनाए रखा। न्यायमूर्ति कमल ने कहा कि बैंड की संख्या बढ़ाने के अलावा, अन्य आदेशों में कोई बदलाव नहीं होगा।


इस प्रकार, न्यायालय ने 16 नवंबर को अधिकतम 300 प्रतिभागियों और 50 सदस्यीय बैंड के साथ आरएसएस के पथ संचलन की अनुमति दी। पहले, कर्नाटक सरकार ने 19 अक्टूबर को आरएसएस के पथ संचलन की अनुमति देने से इनकार कर दिया था।