कर्नाटक कांग्रेस में नेतृत्व परिवर्तन की अटकलें: सिद्धारमैया और शिवकुमार के बीच खींचतान
कर्नाटक कांग्रेस में नेतृत्व की खींचतान
कर्नाटक में कांग्रेस पार्टी के भीतर मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और डीके शिवकुमार के बीच सीएम पद को लेकर विवाद जारी है। राज्य में नेतृत्व परिवर्तन की संभावनाओं पर चर्चा हो रही है। इस संदर्भ में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने बयान दिया है कि निर्णय पार्टी आलाकमान द्वारा लिया जाएगा। उन्होंने स्पष्ट किया कि इस विषय पर वह अभी कुछ नहीं कह सकते।
सिद्धारमैया और खरगे की बैठक के बाद बयान
एआईसीसी प्रमुख ने यह टिप्पणी सीएम सिद्धारमैया के साथ एक घंटे से अधिक समय तक चली बैठक के बाद की। सिद्धारमैया ने 22 नवंबर को बेंगलुरु में खरगे से मुलाकात की थी। 23 नवंबर को पत्रकारों से बात करते हुए खरगे ने कहा, 'मैंने जो कहना था, कह दिया है। अब आपको चिंता करने की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि जो भी निर्णय होगा, वह हाईकमान करेगा।'
राज्य सरकार के ढाई साल पूरे होने पर उठ रहे सवाल
20 नवंबर को राज्य सरकार के ढाई साल पूरे होने के साथ ही यह सवाल उठ रहा है कि क्या कर्नाटक में नेतृत्व परिवर्तन होगा। हालांकि, सिद्धारमैया ने कहा है कि जो भी निर्णय हाईकमान करेगा, वह उसे मानेंगे। उन्होंने कहा कि सभी को आलाकमान के फैसले का पालन करना चाहिए।
सिद्धारमैया के करीबी नेताओं की खरगे से मुलाकात
कर्नाटक में कांग्रेस सरकार के ढाई साल पूरे होने पर, शिवकुमार के समर्थक कुछ विधायकों ने दिल्ली जाकर खरगे से मुलाकात की। इसके बाद सिद्धारमैया ने भी खरगे से मुलाकात की।
मुख्यमंत्री बदलने की स्थिति पर महादेवप्पा का बयान
खरगे से मुलाकात के बाद, मंत्री महादेवप्पा ने कहा कि वर्तमान में मुख्यमंत्री बदलने की कोई स्थिति नहीं है। यदि ऐसा होता है, तो कांग्रेस आलाकमान निर्णय करेगा। उन्होंने यह भी कहा कि यह एक शिष्टाचार मुलाकात थी।
मुख्यमंत्री पद के लिए कोई होड़ नहीं
जब खरगे के साथ नेतृत्व परिवर्तन और कैबिनेट फेरबदल पर चर्चा के बारे में पूछा गया, तो महादेवप्पा ने कहा कि इन मुद्दों पर कोई चर्चा नहीं हुई। उन्होंने जोर देकर कहा कि मुख्यमंत्री पद के लिए कोई होड़ नहीं है और सिद्धारमैया प्रभावी ढंग से कार्य कर रहे हैं।
कर्नाटक कांग्रेस में खींचतान की स्थिति
पार्टी के सूत्रों के अनुसार, सिद्धारमैया अपने मंत्रिमंडल में फेरबदल की मांग कर रहे हैं, जबकि शिवकुमार चाहते हैं कि पहले नेतृत्व परिवर्तन पर निर्णय लिया जाए। यदि आलाकमान मंत्रिमंडल में फेरबदल को मंजूरी देता है, तो यह सिद्धारमैया के पांच साल के कार्यकाल को पूरा करने का संकेत होगा।