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करवा चौथ 2023: तिथि, महत्व और व्रत की विशेषताएँ

करवा चौथ 2023 का व्रत 10 अक्टूबर को मनाया जाएगा। यह व्रत विवाहित महिलाओं द्वारा अपने पतियों की लंबी उम्र के लिए रखा जाता है। इस दिन महिलाएं निर्जला व्रत करती हैं और चाँद की पूजा करती हैं। जानें इस पर्व का महत्व, तिथि और पूजा विधि के बारे में विस्तार से।
 

करवा चौथ का महत्व


करवा चौथ कब है? हिंदू धर्म में हर तिथि और व्रत का विशेष महत्व होता है। इनमें से एक है करवा चौथ, जो हर साल कार्तिक महीने की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है। यह व्रत पति की लंबी उम्र के लिए किया जाता है। इस दिन महिलाएं सोलह श्रृंगार करती हैं और अपने पतियों के लिए निर्जला व्रत रखती हैं। इस वर्ष करवा चौथ के व्रत को लेकर कुछ भ्रम है। आइए उज्जैन के आचार्य आनंद भारद्वाज से जानते हैं कि यह व्रत कब है।


करवा चौथ की तिथि

वेदिक कैलेंडर के अनुसार, कार्तिक महीने की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि 9 अक्टूबर को रात लगभग 10:54 बजे शुरू होगी और 10 अक्टूबर को शाम लगभग 7:38 बजे समाप्त होगी। इसलिए, इस वर्ष करवा चौथ का व्रत शुक्रवार, 10 अक्टूबर को मनाया जाएगा।


सिद्धि योग और कृतिका नक्षत्र

सुख और समृद्धि का पर्व
इस वर्ष करवा चौथ का व्रत सिद्धि योग और कृतिका नक्षत्र के अंतर्गत आएगा। करवा चौथ पर सिद्धि योग सुबह से लेकर शाम 5:41 बजे तक रहेगा। इसके बाद व्यतिपात योग होगा। उस दिन कृतिका नक्षत्र सुबह से लेकर 5:31 बजे तक रहेगा, इसके बाद रोहिणी नक्षत्र आएगा।


महिलाओं का निर्जला व्रत

महिलाएं कैसे करती हैं व्रत
करवा चौथ पर विवाहित महिलाएं अपने पतियों की लंबी उम्र के लिए निर्जला व्रत रखती हैं। वे चाँद को देखकर व्रत का पारण करती हैं। यह व्रत सूर्योदय से लेकर चाँद निकलने तक होता है। इस दौरान व्रति महिलाएं न तो खाना खाती हैं और न ही पानी पीती हैं।


चाँद की पूजा का महत्व

चाँद की पूजा क्यों की जाती है?
करवा चौथ पर चाँद की पूजा पति की लंबी उम्र, सुख-समृद्धि और वैवाहिक जीवन में शांति के लिए की जाती है। चाँद को शांति, समृद्धि और मानसिक स्थिरता का प्रतीक माना जाता है। चाँद की पूजा से मन को शांति मिलती है, जो पति-पत्नी के रिश्ते को मजबूत बनाती है। यह जल और पृथ्वी के तत्वों का भी सम्मान करती है, जो वैवाहिक सुख से जुड़े होते हैं।


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