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कनाडा में खालिस्तान समर्थकों की बढ़ती गतिविधियाँ: गोरे नागरिकों पर हमले का नया अध्याय

कनाडा में खालिस्तान समर्थकों की गतिविधियाँ तेजी से बढ़ रही हैं, जिससे न केवल भारत-कनाडा संबंधों में तनाव उत्पन्न हो रहा है, बल्कि स्थानीय गोरे नागरिक भी इनकी रैलियों के निशाने पर आ गए हैं। हाल ही में सरे शहर में हुई रैली में गोरे लोगों को यूरोप और इजरायल लौटने के लिए कहा गया। इस घटना ने कनाडा के बहुसांस्कृतिक समाज में नई चुनौतियाँ पेश की हैं। जानें इस मुद्दे पर कनाडाई सरकार और जस्टिन ट्रूडो की नीतियों पर क्या सवाल उठाए जा रहे हैं और खालिस्तान समर्थकों के खिलाफ कार्रवाई की मांग क्यों की जा रही है।
 

कनाडा में खालिस्तान समर्थकों की गतिविधियों का बढ़ता प्रभाव


कनाडा में खालिस्तान समर्थकों की गतिविधियाँ तेजी से बढ़ रही हैं, जिससे भारत और कनाडा के बीच संबंधों में तनाव उत्पन्न हो रहा है। हाल ही में सरे शहर में खालिस्तान समर्थकों की एक रैली का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ है, जिसमें गोरे नागरिकों को यूरोप और इजरायल लौटने के लिए कहा गया। यह घटना कनाडा के बहुसांस्कृतिक समाज के लिए एक नई चुनौती प्रस्तुत करती है।


खालिस्तान समर्थकों की रैलियों का विस्तार

खालिस्तान समर्थक पहले से ही भारतीय सांस्कृतिक स्थलों को निशाना बनाते आ रहे हैं, लेकिन हाल की घटनाओं से यह स्पष्ट होता है कि उनका दायरा अब और बढ़ गया है। वायरल वीडियो में खालिस्तानी झंडों के साथ रैली कर रहे समर्थकों ने कहा कि "गोरे लोग असली कनाडाई नहीं हैं, और हमें कनाडा का असली हकदार माना जाना चाहिए।"


इस बयान ने कनाडा में रहने वाले भारतीयों और गोरे नागरिकों के बीच चिंता का माहौल पैदा कर दिया है। खालिस्तान समर्थक पहले भी भारतीय मंदिरों और संस्थाओं पर हमले कर चुके हैं, जिससे भारतीय समुदाय में तनाव बढ़ गया है।


कनाडाई सरकार और जस्टिन ट्रूडो की नीतियों पर सवाल

कनाडा के पत्रकार डेनियल बोर्डमैन ने अपने सोशल मीडिया पर एक वीडियो साझा किया है, जिसमें सैकड़ों लोग खालिस्तानी झंडों के साथ रैली करते हुए दिखाई दे रहे हैं। वीडियो में एक व्यक्ति कहता है, "हम कनाडा के असली मालिक हैं और हमें गर्व है। गोरे लोगों को यूरोप और इजरायल लौट जाना चाहिए, क्योंकि वे असली कनाडाई नहीं हैं।"


बोर्डमैन ने ट्रूडो सरकार की खालिस्तान समर्थकों के प्रति नरम नीति पर भी सवाल उठाया है। उनका कहना है कि यह सरकार कनाडा के नागरिकों की सुरक्षा को गंभीरता से नहीं ले रही है, जिससे देश में असुरक्षा बढ़ रही है।


भारत-कनाडा संबंधों में गिरावट

खालिस्तान मुद्दे पर बढ़ते तनाव ने भारत और कनाडा के संबंधों को प्रभावित किया है। भारत ने कनाडा में खालिस्तानी गतिविधियों पर चिंता जताई है, जबकि कनाडा इसे स्वतंत्रता और अभिव्यक्ति के अधिकार के तहत देखता है। इस कारण से दोनों देशों के बीच हाल के महीनों में तनाव बढ़ा है।


डेनियल बोर्डमैन का कहना है कि ट्रूडो की सरकार के पास इस मुद्दे को सुलझाने के लिए कोई ठोस नीति नहीं है और वे इसे केवल राजनीतिक साधन के रूप में उपयोग कर रहे हैं। उन्होंने चेतावनी दी है कि यदि इस तरह की गतिविधियों को नियंत्रित नहीं किया गया, तो यह कनाडा के बाहरी संबंधों और सामाजिक संरचना के लिए खतरनाक साबित हो सकता है।


खालिस्तान समर्थकों के खिलाफ कार्रवाई की मांग

कनाडा में कई सामाजिक और राजनीतिक संगठनों ने सरकार से मांग की है कि खालिस्तान समर्थकों की गतिविधियों पर तुरंत रोक लगाई जाए। उनका मानना है कि इस प्रकार की गतिविधियाँ न केवल भारतीय समुदाय के लिए, बल्कि कनाडा में रहने वाले अन्य समुदायों के लिए भी खतरा पैदा कर रही हैं।


खालिस्तान समर्थकों की बढ़ती गतिविधियाँ कनाडा के सामाजिक ताने-बाने पर सवाल खड़े कर रही हैं। कई लोग मानते हैं कि यदि समय पर इस पर नियंत्रण नहीं किया गया, तो यह कनाडा में सांप्रदायिक सौहार्द को बिगाड़ सकता है।


निष्कर्ष

कनाडा में खालिस्तान समर्थकों की बढ़ती गतिविधियाँ और उनके बयानों ने एक गंभीर मुद्दा खड़ा कर दिया है। भारतीयों के साथ-साथ गोरे नागरिकों को निशाना बनाना कनाडा के बहुसांस्कृतिक समाज के लिए नई चुनौती है। जस्टिन ट्रूडो की सरकार के लिए यह समय है कि वे इस मुद्दे पर कड़े कदम उठाएं और सामाजिक सौहार्द को बनाए रखने के लिए सही दिशा में काम करें।