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कत्था: पान का स्वाद और स्वास्थ्य के लिए औषधीय गुण

कत्था, जो पान का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, औषधीय गुणों से भरपूर है। यह न केवल स्वाद बढ़ाता है, बल्कि कई स्वास्थ्य समस्याओं का समाधान भी करता है। जानें इसके विभिन्न उपयोग और सावधानियाँ, जैसे गर्भवती महिलाओं के लिए इसके सेवन से बचना। इस लेख में हम कत्था के फायदों और इसके सही उपयोग के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे।
 

कत्था के औषधीय लाभ


  • यदि आप पान के शौकीन हैं, तो कत्था के महत्व को भी समझते होंगे। यह कत्था, जो कि कत्थई रंग का होता है, पान का स्वाद बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इसमें औषधीय गुण भी होते हैं?
  • कत्था खैर के पेड़ से प्राप्त होता है। आयुर्वेद के अनुसार, यह ठंडा, कड़वा, तीखा और कसैला होता है। यह कई बीमारियों जैसे कुष्ठ रोग, मुख रोग, मोटापा, खांसी, चोट, घाव, रक्त पित्त आदि के उपचार में सहायक है। हालांकि, इसका अधिक सेवन नपुंसकता और किडनी स्टोन का कारण बन सकता है। इसलिए, इसे 1 से 3 ग्राम की मात्रा में ही उपयोग करना चाहिए। आइए जानते हैं कि कत्था किस प्रकार से हमारे स्वास्थ्य को बेहतर बना सकता है।


➡ औषधीय उपयोग जानने के लिए पढ़ें:



  1. मलेरिया: मलेरिया बुखार के दौरान कत्था एक प्रभावी औषधि है। इसकी समान मात्रा में गोली बनाकर चूसने से मलेरिया से बचाव संभव है।
  2. दांतों की बीमारी: कत्था को मंजन में मिलाकर दांतों और मसूढ़ों पर सुबह-शाम मलने से दांतों के रोग दूर होते हैं।
  3. दांतों के कीड़े: कत्था को सरसों के तेल में मिलाकर मसूढ़ों पर लगाने से खून आना और बदबू दूर होती है।
  4. खट्टी डकार: 300 से 700 मिलीग्राम कत्था का सेवन करने से खट्टी डकार बंद हो जाती है।
  5. दस्त: कत्था को पकाकर उपयोग करने से दस्त रुकता है और पाचन शक्ति में सुधार होता है।
  6. बवासीर: सफेद कत्था, बड़ी सुपारी और नीलाथोथा को मिलाकर पेस्ट बनाकर मस्सों पर लगाने से राहत मिलती है।
  7. गले की खराश: 300 मिलीग्राम कत्था का चूर्ण चूसने से गले की खराश और छाले ठीक होते हैं।
  8. कान दर्द: सफेद कत्था को पीसकर गुनगुने पानी में मिलाकर कानों में डालने से दर्द में राहत मिलती है।
  9. कुष्ठ रोग: कत्थे के काढ़े से नहाने से कुष्ठ रोग में सुधार होता है।
  10. योनि की जलन और खुजली: 5 ग्राम कत्था, विण्डग और हल्दी को मिलाकर लगाने से खुजली और जलन ठीक होती है।
  11. खांसी: लगातार खांसी से राहत के लिए कत्था, हल्दी और मिश्री के साथ गोलियां बनाकर चूसने से लाभ होता है।
  12. घाव: चोट लगने पर कत्था का चूर्ण डालने से घाव जल्दी भरता है।
  13. प्रदर रोग: कत्था और बांस के पत्तों का पेस्ट बनाने से लाभ मिलता है।
  14. दमा रोग: सांस संबंधी समस्याओं के लिए कत्था का सेवन फायदेमंद है।
  15. ध्यान दें: गर्भवती महिलाओं को कत्था का सेवन नहीं करना चाहिए, और पुरुषों में इसका अत्यधिक सेवन नपुंसकता का कारण बन सकता है।