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ओवैसी ने बिहार में मतदाता सूची पुनरीक्षण पर उठाए सवाल

ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने बिहार में चुनाव आयोग द्वारा किए गए मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण पर गंभीर सवाल उठाए हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि इस प्रक्रिया से भाजपा को मुस्लिम मतदाताओं का उत्पीड़न करने का मौका मिल सकता है। ओवैसी ने कहा कि गरीब मुसलमानों और दलितों के पास केवल वोट देने का अधिकार है, जिसे भाजपा कमजोर करना चाहती है। जानें इस मुद्दे पर और क्या कहा गया है।
 

बिहार में मतदाता सूची पर ओवैसी की चिंता

ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के नेता असदुद्दीन ओवैसी ने बुधवार को बिहार में चुनाव आयोग द्वारा किए गए विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) को लेकर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि इस प्रक्रिया से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को मतदाताओं का 'उत्पीड़न' करने का अवसर मिल सकता है।


ओवैसी ने सोशल मीडिया पर उन पोस्टों का जवाब दिया, जिनमें यह दावा किया गया था कि बिहार के एक निर्वाचन क्षेत्र में मुस्लिम मतदाताओं को मतदाता सूची से हटाने का प्रयास किया जा रहा है।


उन्होंने 'एक्स' पर एक पोस्ट में लिखा, 'बिहार में एसआईआर की वास्तविकता यह है कि राजनीतिक दल, विशेषकर भाजपा, धर्म के आधार पर मतदाताओं को परेशान करने और उन्हें हटाने का मौका पाएंगे। आज के भारत में, गरीब मुसलमानों और दलितों के पास केवल एक साधन है - वोट देने का अधिकार। भाजपा उन्हें उत्पीड़न के खिलाफ असहाय बनाना चाहती है।'


चुनाव आयोग द्वारा किए गए विशेष गहन पुनरीक्षण से पहले बिहार में मतदाताओं की कुल संख्या 7.89 करोड़ थी, जो मंगलवार को जारी अंतिम मतदाता सूची में लगभग 47 लाख घटकर 7.42 करोड़ रह गई है।


हालांकि, अंतिम संख्या में 17.87 लाख की वृद्धि हुई है, जबकि एक अगस्त को जारी मसौदा मतदाता सूची में 7.24 करोड़ मतदाता थे। मसौदा सूची में मृत्यु, प्रवास और मतदाताओं के नाम के दोहराव जैसे विभिन्न कारणों से 65 लाख मतदाताओं के नाम मूल सूची से हटा दिए गए थे।