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ओवैसी का बयान: भारत-अफगानिस्तान संबंधों की नई शुरुआत

AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने भारत और अफगानिस्तान के बीच संबंधों में सुधार की आवश्यकता पर जोर दिया है। उन्होंने कहा कि तालिबान से बातचीत जरूरी है और चाबहार बंदरगाह का महत्व भी बताया। ओवैसी ने क्षेत्रीय राजनीति में स्थायी मित्रता या दुश्मनी की कमी पर भी प्रकाश डाला। जानें उनके विचार और इस मुद्दे पर उनके दृष्टिकोण के बारे में।
 

भारत और अफगानिस्तान के बीच संबंधों में सुधार

AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी

भारत और अफगानिस्तान के बीच संबंध एक बार फिर से मजबूत हो रहे हैं। तालिबान सरकार के गठन के बाद, विदेश मंत्री आमिर खान मुतक्की का भारत दौरा महत्वपूर्ण है। AIMIM के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने इस पर टिप्पणी करते हुए कहा कि दोनों देशों के बीच संबंध केवल बातचीत तक सीमित नहीं रहना चाहिए, बल्कि काबुल के साथ पूर्ण राजनयिक संबंध स्थापित करने की आवश्यकता है।

ओवैसी ने कहा कि मैं इस कदम का स्वागत करता हूं। मैंने 2016 में संसद में कहा था कि तालिबान आएंगे और उनसे बातचीत करनी चाहिए। उस समय कई मीडियाकर्मियों और बीजेपी सदस्यों ने मुझे आलोचना का सामना करना पड़ा।

उन्होंने चाबहार बंदरगाह के महत्व पर भी जोर दिया, यह बताते हुए कि यह अफगानिस्तान के लिए एक महत्वपूर्ण मार्ग है। उन्होंने सवाल उठाया कि हम इस क्षेत्र में चीन और पाकिस्तान के प्रभाव को कैसे कम कर सकते हैं, खासकर जब पाकिस्तानी वायु सेना ने उस क्षेत्र में बमबारी की है।

ओवैसी ने कहा कि हमें पूर्ण राजनयिक संबंध स्थापित करने की आवश्यकता है, जो देश की सुरक्षा और भू-राजनीतिक हितों के लिए महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि यदि भारत अफगानिस्तान के साथ आर्थिक और रणनीतिक साझेदारी को बढ़ाता है, तो यह पूरे क्षेत्र में उसकी स्थिति को मजबूत करेगा। उन्होंने यह भी बताया कि पाकिस्तान, जो पहले तालिबान का समर्थक था, अब उन पर बमबारी कर रहा है, जो अंतरराष्ट्रीय राजनीति में स्थायी मित्रता या दुश्मनी की कमी को दर्शाता है।

भारत और तालिबान के बीच मौजूदा संबंध

भारत ने अभी तक तालिबान को आधिकारिक मान्यता नहीं दी है। 2021 में काबुल पर तालिबान के नियंत्रण के बाद, भारत ने अपने दूतावास को बंद कर दिया था। तालिबान सरकार के आने के बाद से भारत और अफगानिस्तान के संबंध पूरी तरह से समाप्त हो गए थे, लेकिन अब इन संबंधों में सुधार की संभावना दिखाई दे रही है।