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ओवैसी और रीजीजू के बीच अल्पसंख्यकों के अधिकारों पर तीखी बहस

ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी और केंद्रीय मंत्री किरेन रीजीजू के बीच अल्पसंख्यकों के अधिकारों को लेकर सोशल मीडिया पर तीखी बहस हुई। ओवैसी ने रीजीजू के बयान की आलोचना की, जिसमें उन्होंने कहा था कि भारत में अल्पसंख्यकों को अधिक सुरक्षा मिलती है। ओवैसी ने इसे मौलिक अधिकारों का उल्लंघन बताया। इस विवाद में वक्फ अधिनियम और सरकार की नीतियों पर भी चर्चा हुई। रीजीजू ने पलटवार करते हुए कहा कि अल्पसंख्यक भारत में सुरक्षित हैं। ओवैसी ने अपने अधिकारों के लिए लड़ने की बात कही। इस बहस ने राजनीतिक माहौल को गरमा दिया है।
 

सोशल मीडिया पर वार-पलटवार

ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के नेता असदुद्दीन ओवैसी और केंद्रीय मंत्री किरेन रीजीजू के बीच अल्पसंख्यकों के अधिकारों को लेकर सोशल मीडिया पर तीखी बहस छिड़ गई है। ओवैसी ने भाजपा नेता रीजीजू की उस टिप्पणी की आलोचना की, जिसमें उन्होंने कहा था कि भारत एकमात्र ऐसा देश है जहां अल्पसंख्यकों को बहुसंख्यक समुदाय की तुलना में अधिक सुरक्षा और लाभ मिलते हैं। ओवैसी ने जवाब में कहा कि अल्पसंख्यकों के अधिकार मौलिक अधिकार हैं, न कि खैरात। हैदराबाद के सांसद ने 'एक्स' पर एक पोस्ट में लिखा, “आप भारतीय गणराज्य के मंत्री हैं, राजा नहीं। किरेन रीजीजू, आप संवैधानिक पद पर हैं, सिंहासन पर नहीं। अल्पसंख्यकों के अधिकार उनके मौलिक अधिकार हैं, कोई खैरात नहीं।” ओवैसी ने यह भी आरोप लगाया कि “भारत के अल्पसंख्यक अब दूसरे दर्जे के नागरिक नहीं हैं। हम बंधक हैं।”




एआईएमआईएम प्रमुख ने वक्फ (संशोधन) अधिनियम पर भी रीजीजू पर हमला किया और पूछा कि क्या मुसलमान हिंदू बंदोबस्ती बोर्ड के सदस्य बन सकते हैं। उन्होंने खुद ही उत्तर देते हुए कहा, “नहीं। लेकिन आपका वक्फ संशोधन अधिनियम गैर-मुसलमानों को वक्फ बोर्ड में शामिल करने की अनुमति देता है और उन्हें बहुमत बनाने की इजाजत देता है।” ओवैसी ने आगे कहा कि भाजपा सरकार ने मौलाना आज़ाद नेशनल फ़ेलोशिप को बंद कर दिया है, 10वीं पूर्व की छात्रवृत्ति का वित्तपोषण रोक दिया है और 10वीं बाद की छात्रवृत्ति को सीमित कर दिया है। उन्होंने कहा, “यह सब इसलिए हुआ क्योंकि इससे मुस्लिम छात्रों को लाभ हुआ।” ओवैसी ने यह भी कहा कि उच्च शिक्षा में मुसलमानों की संख्या में कमी आई है और अनौपचारिक अर्थव्यवस्था में उनकी उपस्थिति बढ़ी है। उन्होंने आरोप लगाया कि “वे (मुसलमान) आपकी सरकार की आर्थिक नीतियों से सबसे अधिक प्रभावित हुए हैं।”




ओवैसी ने कहा, “हम दूसरे देशों के अल्पसंख्यकों से अपनी तुलना नहीं करना चाहते। हम बहुसंख्यक समुदाय को मिलने वाली सुविधाओं से अधिक की मांग नहीं कर रहे हैं। हम संविधान में दिए गए सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय की मांग कर रहे हैं।”




इस बीच, एआईएमआईएम अध्यक्ष को जवाब देते हुए केंद्रीय मंत्री रीजीजू ने 'एक्स' पर लिखा, “ठीक है... हमारे पड़ोसी देशों के अल्पसंख्यक भारत आना क्यों पसंद करते हैं और हमारे अल्पसंख्यक पलायन क्यों नहीं करते हैं? प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी की कल्याणकारी योजनाएं सभी के लिए हैं। अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय की योजनाएं अल्पसंख्यकों को अतिरिक्त लाभ प्रदान करती हैं।”




ओवैसी ने पलटवार करते हुए कहा, “अगर हम पलायन नहीं करते हैं तो इसका मतलब है कि हम खुश हैं। हमें भागने की आदत नहीं है: हम अंग्रेजों से नहीं भागे, हम विभाजन के दौरान नहीं भागे और हम जम्मू, नेल्ली, गुजरात, मुरादाबाद, दिल्ली आदि नरसंहारों के कारण नहीं भागे। हमारा इतिहास इस बात का सबूत है कि हम न तो अपने उत्पीड़कों का साथ देते हैं और न ही उनसे छिपते हैं।” ओवैसी ने कहा, “हम जानते हैं कि अपने लोकतांत्रिक अधिकारों के लिए कैसे लड़ना है और हम इंशाअल्लाह ऐसा करेंगे। हमारे महान राष्ट्र की तुलना पाकिस्तान, बांग्लादेश, म्यांमा, नेपाल और श्रीलंका जैसे असफल राज्यों से करना बंद करें। जय हिंद, जय संविधान! इस मामले पर ध्यान देने के लिए आपको धन्यवाद!”