ओडिशा में छात्रा की आत्मदाह से राजनीतिक हलचल, सरकार पर उठे सवाल
ओडिशा में छात्रा की आत्मदाह की घटना
ओडिशा में एक कॉलेज की द्वितीय वर्ष की छात्रा द्वारा यौन उत्पीड़न के बाद आत्मदाह करने से उसकी मौत ने राज्य की सत्तारूढ़ भाजपा सरकार के खिलाफ व्यापक राजनीतिक आक्रोश को जन्म दिया है। मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी ने छात्रा की मौत पर शोक व्यक्त करते हुए कहा कि सभी दोषियों को कड़ी सजा दी जाएगी। हालांकि, विपक्षी दलों ने माझी पर निष्क्रियता का आरोप लगाते हुए कहा है कि प्रशासन ने छात्रा की न्याय की मांग को नजरअंदाज किया।
छात्रा की मौत और सरकार की प्रतिक्रिया
बालासोर के फकीर मोहन (स्वायत्त) कॉलेज की छात्रा ने तीन दिनों तक जिंदगी और मौत के बीच संघर्ष करने के बाद सोमवार रात दम तोड़ दिया। उसने अपने कॉलेज के एक प्रोफेसर पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था। बीजद नेता स्नेहांगिनी छुरिया ने सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि केंद्र का 'बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ' नारा ओडिशा में 'बेटी पढ़ाओ, बेटी जलाओ' में बदल गया है।
मुख्यमंत्री ने छात्रा के परिवार को 20 लाख रुपये की अनुग्रह राशि देने की घोषणा की और अधिकारियों को घटना की उचित जांच करने का निर्देश दिया।
राज्यपाल और स्थानीय लोगों की प्रतिक्रिया
राज्यपाल हरि बाबू कंभमपति ने भी छात्रा की मौत पर दुख व्यक्त किया और कहा कि यह घटना हमारे परिसरों की सुरक्षा के लिए आवश्यक कदम उठाने की जरूरत को दर्शाती है। उन्होंने कहा कि दोषियों को सख्त सजा दी जाएगी।
छात्रा का शव उसके पैतृक गांव लाया गया, जहां हजारों लोग अंतिम संस्कार में शामिल हुए। स्थानीय लोगों ने छात्रा की मौत के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की।
छात्रा की सक्रियता और न्याय की मांग
एक स्थानीय ग्रामीण ने बताया कि छात्रा प्राकृतिक आपदाओं के दौरान मदद के लिए सक्रिय रहती थी। उसके दादा ने कहा कि सरकार उसे न्याय दिलाने में असफल रही, जिसके कारण उसने आत्मदाह का कदम उठाया।
इस मामले में शिक्षा विभाग के विभागाध्यक्ष और कॉलेज के प्राचार्य को गिरफ्तार किया गया है।