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ओडिशा में आत्मदाह की कोशिश: दंपति ने बच्ची के इलाज के लिए मांगी मदद

ओडिशा में एक दंपति ने अपनी गंभीर रूप से बीमार बेटी के इलाज के लिए आत्मदाह की धमकी दी, लेकिन पुलिस ने समय रहते हस्तक्षेप कर उन्हें बचा लिया। यह घटना राज्य में महिला सुरक्षा को लेकर उठ रहे सवालों के बीच हुई है। दंपति ने मुख्यमंत्री आवास के पास पहुंचकर मीडिया के सामने अपनी समस्या रखी। जानें इस घटना के पीछे की पूरी कहानी और सरकार की प्रतिक्रिया।
 

ओडिशा में आत्मदाह की घटना

 ओडिशा इस समय भारत के सबसे चर्चित राज्यों में से एक बन गया है। हाल ही में दो अलग-अलग लड़कियों के आत्मदाह की घटनाओं के बाद, राज्य सरकार और प्रशासन पर सवाल उठ रहे हैं। महिला सुरक्षा को लेकर विपक्ष लगातार सरकार पर दबाव बना रहा है। इसी बीच, ओडिशा से एक और गंभीर घटना सामने आई है, जो अगर घटित होती, तो सरकार के लिए मुश्किलें खड़ी कर सकती थी, लेकिन इसे समय रहते टाल दिया गया।


ओडिशा के मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी के आवास के निकट एक दंपति ने अपनी सात वर्षीय बेटी के साथ आत्मदाह की धमकी दी, लेकिन पुलिस ने समय पर हस्तक्षेप कर उन्हें बचा लिया। एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि यह परिवार बौध जिले का निवासी है और अपनी बच्ची के गंभीर त्वचा रोग के इलाज के लिए भुवनेश्वर आया था।


अधिकारी ने कहा कि दंपति पैसे की कमी के कारण मुख्यमंत्री आवास के पास पहुंचा और मीडिया के सामने आत्मदाह की धमकी दी। पुलिस ने तुरंत कार्रवाई की और दंपति तथा उनकी बच्ची को किसी भी गंभीर कदम उठाने से पहले ही बचा लिया। हालांकि, उनके पास से कोई ज्वलनशील सामग्री नहीं मिली।


भुवनेश्वर के पुलिस उपायुक्त जगमोहन मीणा ने बताया कि तीनों को सुरक्षित बचाकर मुख्यमंत्री के शिकायत प्रकोष्ठ में ले जाया गया, जहां उनकी समस्याओं को सुना गया। उन्होंने यह भी बताया कि दंपति को पहले ही मुख्यमंत्री राहत कोष से 40,000 रुपये की सहायता मिल चुकी थी। इसके बाद, उनकी इच्छा के अनुसार, बच्ची का इलाज कटक के एससीबी मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में कराने के लिए भेजा गया।