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ओडिशा में अवैध प्रवासियों की पहचान के लिए चल रही जांच

भारत में अवैध प्रवासियों की संख्या में वृद्धि के बीच, ओडिशा के झारसुगुड़ा में 444 लोगों को हिरासत में लिया गया है। इनमें से अधिकांश के पास फर्जी दस्तावेज पाए गए हैं। सरकार ने इनकी पहचान के लिए जांच प्रक्रिया शुरू की है। जानें इस मामले में क्या हो रहा है और सरकार की क्या योजनाएं हैं।
 

अवैध प्रवासियों की बढ़ती संख्या

भारत में अवैध प्रवासियों की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। सरकार इस समस्या से निपटने के लिए लगातार प्रयास कर रही है। विभिन्न स्थानों पर पुलिस छापेमारी कर इनकी पहचान करने का कार्य कर रही है। हाल ही में गुजरात में बड़ी संख्या में अवैध प्रवासियों की मौजूदगी की सूचना मिली थी। अब ओडिशा के झारसुगुड़ा से भी इसी तरह की खबरें आ रही हैं।


पश्चिम बंगाल सरकार ने ओडिशा के झारसुगुड़ा में हिरासत में लिए गए 400 से अधिक बांग्लादेशी प्रवासियों की तत्काल रिहाई की मांग की है। ओडिशा पुलिस ने बुधवार को बताया कि सत्यापन प्रक्रिया जारी है और जो लोग आवश्यक वैध दस्तावेज प्रस्तुत करेंगे, उन्हें रिहा कर दिया जाएगा.


सरकारी बयान और कार्रवाई

हालिया अपडेट के अनुसार, ओडिशा के राजस्व एवं आपदा प्रबंधन मंत्री सुरेश पुजारी ने कहा कि झारसुगुड़ा जिले में पकड़े गए 444 लोगों में से 335 के पास फर्जी भारतीय दस्तावेज मिले हैं।


उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि ओडिशा की भाजपा सरकार राज्य को अवैध बांग्लादेशी प्रवासियों का 'आश्रय स्थल' नहीं बनने देगी।


पुजारी ने वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक में बताया कि पकड़े गए लोगों में से अधिकांश के पास आधार कार्ड, वोटर कार्ड और अन्य दस्तावेज हैं, जो उन्हें पश्चिम बंगाल का निवासी दर्शाते हैं.


पश्चिम बंगाल सरकार की प्रतिक्रिया

पश्चिम बंगाल सरकार ने यह भी बताया कि हिरासत में लिए गए लोग नदिया, मुर्शिदाबाद, मालदा और पूर्वी मेदिनीपुर जैसे विभिन्न जिलों से हैं।


झारसुगुड़ा में सोमवार को हुई छापेमारी के बाद 200 से अधिक लोगों को हिरासत में लिया गया है। अब तक, 444 लोगों को "बांग्लादेश से अवैध प्रवासी" होने के संदेह में जिले के दो हिरासत केंद्रों में रखा गया है.