एससीओ रक्षा मंत्रियों की बैठक में संयुक्त बयान पर सहमति नहीं बनी
शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के रक्षा मंत्रियों की हालिया बैठक में आतंकवाद के मुद्दे पर सहमति नहीं बन पाई, जिसके कारण कोई संयुक्त बयान जारी नहीं किया गया। भारत ने दस्तावेज़ में आतंकवाद से संबंधित चिंताओं को शामिल करने की कोशिश की, लेकिन कुछ सदस्य देशों ने इसे स्वीकार नहीं किया। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बैठक में एससीओ की प्रासंगिकता और क्षेत्रीय सुरक्षा की साझा जिम्मेदारी पर जोर दिया। जानें इस बैठक में और क्या हुआ और इसके पीछे की वजहें क्या हैं।
Jun 26, 2025, 17:52 IST
एससीओ बैठक में आतंकवाद पर असहमति
विदेश मंत्रालय ने गुरुवार को जानकारी दी कि शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के रक्षा मंत्रियों की बैठक में कोई संयुक्त बयान जारी नहीं किया जा सका, क्योंकि सभी सदस्य देशों के बीच आम सहमति नहीं बन पाई, विशेष रूप से आतंकवाद के मुद्दे पर। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने बताया कि रक्षा मंत्री ने इस बैठक में भाग लिया, जो दो दिनों तक चली और अंततः समाप्त हो गई। सदस्य देशों के बीच कुछ मुद्दों पर सहमति न बनने के कारण संयुक्त वक्तव्य को स्वीकार नहीं किया जा सका।
रणधीर जायसवाल ने आगे कहा कि भारत चाहता था कि दस्तावेज़ में आतंकवाद और संबंधित चिंताओं को शामिल किया जाए, लेकिन यह एक विशेष देश के लिए स्वीकार्य नहीं था। रक्षा मंत्री ने अपने संबोधन में 11 देशों से आतंकवाद के सभी रूपों के खिलाफ एकजुट होने का आह्वान किया। उन्होंने यह भी कहा कि सीमा पार आतंकवाद के अपराधियों, आयोजकों, वित्तपोषकों और प्रायोजकों को जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए और उन्हें न्याय के कटघरे में लाया जाना चाहिए।
शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के रक्षा मंत्रियों की बैठक में बोलते हुए राजनाथ सिंह ने वैश्विक परिदृश्य की अनिश्चितता को देखते हुए एससीओ की प्रासंगिकता को उजागर किया। उन्होंने कहा कि यह समूह दुनिया के कुल घरेलू उत्पाद का लगभग 30 प्रतिशत और वैश्विक जनसंख्या का लगभग 40 प्रतिशत हिस्सा रखता है। उन्होंने क्षेत्रीय सुरक्षा और स्थिरता को साझा जिम्मेदारी बताया, जो सदस्य देशों में प्रगति को बढ़ावा दे सकती है और जीवन को बेहतर बना सकती है।