एम्स भोपाल में लंग्स ट्रांसप्लांट की तैयारी, मंजूरी का इंतज़ार
एम्स भोपाल में लंग्स ट्रांसप्लांट की नई शुरुआत
एम्स भोपाल में गंभीर फेफड़ों की बीमारियों से ग्रस्त मरीजों के लिए एक नई आशा की किरण दिखाई दे रही है। यहां लंग्स ट्रांसप्लांट की प्रक्रिया शुरू करने की तैयारियां लगभग पूरी हो चुकी हैं। संस्थान के विशेषज्ञ चिकित्सकों की टीम ने चेन्नई में विशेष प्रशिक्षण प्राप्त किया है और स्टेट ऑर्गन एंड टिश्यू ट्रांसप्लांट ऑर्गनाइजेशन (सोटो) का निरीक्षण भी सफलतापूर्वक किया गया है। अब केवल अंतिम स्वीकृति का इंतज़ार है।
यदि अनुमति मिल जाती है, तो एम्स भोपाल मध्य भारत का पहला सरकारी संस्थान होगा, जहां हार्ट, किडनी, बोन मैरो और लंग्स जैसे चार प्रमुख अंगों के प्रत्यारोपण एक ही स्थान पर किए जा सकेंगे। यह उपलब्धि एम्स को देश के प्रमुख ट्रांसप्लांट केंद्रों में शामिल कर देगी।
लंग्स प्रत्यारोपण की जटिलता
लंग्स ट्रांसप्लांट एक अत्यंत जटिल प्रक्रिया मानी जाती है, जिसे अनुभवी कार्डियक-वैस्कुलर सर्जन द्वारा किया जाता है। इसके लिए एम्स में अत्याधुनिक ईसीएमओ मशीन, हार्ट-लंग मशीन और आईएबीपी सिस्टम की व्यवस्था की गई है, जो ऑपरेशन के दौरान मरीज के हार्ट और लंग्स को सपोर्ट प्रदान करेंगे।
जानकारी के अनुसार, निजी अस्पतालों में लंग्स ट्रांसप्लांट की लागत 25 से 35 लाख रुपये तक होती है, जबकि एम्स में यह उपचार किफायती दरों पर उपलब्ध होगा, जिससे सामान्य मरीजों को बड़ी राहत मिलेगी। इसके साथ ही, एम्स भोपाल में पीडियाट्रिक किडनी ट्रांसप्लांट की प्रक्रिया भी शुरू होने जा रही है। चार बच्चों का चयन कर उनकी प्रारंभिक जांच की जा चुकी है। विशेषज्ञों का कहना है कि मंजूरी मिलते ही भोपाल में उन्नत अंग प्रत्यारोपण सेवाओं का नया अध्याय शुरू होगा।