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एनडीए की कुशवाहा वोटों पर नजर, बिहार विधानसभा चुनाव की तैयारी

बिहार विधानसभा चुनाव में एनडीए ने कुशवाहा जाति पर ध्यान केंद्रित किया है, जो पिछले लोकसभा चुनाव के अनुभव से प्रेरित है। बीजेपी और जेडीयू ने मिलकर कुशवाहा समुदाय के उम्मीदवारों को अधिकतम टिकट दिए हैं। इस बार, एनडीए का लक्ष्य कुशवाहा मतदाताओं को अपने पक्ष में लाना है, जिससे वे पिछले चुनावों में खोई हुई सीटें वापस पा सकें। जानें इस रणनीति के पीछे का कारण और इसके संभावित प्रभाव के बारे में।
 

एनडीए का कुशवाहा वोटों पर ध्यान

पीएम मोदी, अमित शाह, सम्राट चौधरी और नीतीश कुमार.


बिहार विधानसभा चुनाव में एनडीए ने कुशवाहा जाति पर ध्यान केंद्रित किया है, जो लोकसभा चुनाव के अनुभव से प्रेरित है। बीजेपी और जेडीयू ने मिलकर कुशवाहा जाति के उम्मीदवारों को अधिकतम टिकट दिए हैं। पिछले लोकसभा चुनाव में आरजेडी ने कुशवाहा वोटों में सेंध लगाई थी, जिससे एनडीए को चार महत्वपूर्ण सीटें खोनी पड़ी थीं।


जेडीयू अब अपने लवकुश समीकरण को मजबूत करने की कोशिश कर रही है। एनडीए ने कुशवाहा और धानुक जातियों के उम्मीदवारों को टिकट देकर इस समुदाय को अपने पक्ष में लाने का प्रयास किया है। भाजपा और जदयू ने क्रमशः सात और तेरह कुशवाहा उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है।


लोकसभा चुनाव से मिली सीख


2025 के विधानसभा चुनाव में एनडीए किसी भी प्रकार की दरार से बचना चाहता है। कुशवाहा मतदाताओं को अपने पक्ष में लाने के लिए बड़ी संख्या में उम्मीदवारों को उतारना एनडीए की नई रणनीति है।


भाजपा के कुशवाहा चेहरे सम्राट चौधरी को तारापुर से टिकट दिया गया है, जबकि जदयू ने विभिन्न क्षेत्रों से कई कुशवाहा उम्मीदवारों को उतारा है।


जदयू ने धानुक जाति से भी कई उम्मीदवारों को टिकट दिया है, जो मुंगेर, भागलपुर, मधुबनी, सुपौल और दरभंगा में अच्छी उपस्थिति रखते हैं।


जातीय समीकरणों का संतुलन


मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जातीय और सामाजिक समीकरणों को संतुलित करने की रणनीति अपना रहे हैं। जदयू ने कुशवाहा समुदाय से सबसे अधिक 13 उम्मीदवारों को टिकट दिया है।


अति पिछड़े वर्ग में भी संतुलन बनाए रखने के लिए विभिन्न जातियों से 37 उम्मीदवारों को शामिल किया गया है।


2020 की रणनीति में बदलाव


2020 में जदयू ने विभिन्न जातियों के उम्मीदवारों को टिकट दिया था, लेकिन इस बार कुशवाहा, कुर्मी और धानुक समुदायों को प्राथमिकता दी गई है।


जदयू की पहली सूची नीतीश कुमार की राजनीतिक रणनीति को दोहराती है, जिसमें सभी वर्गों का प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करने का प्रयास किया गया है।