एनआईए ने मालेगांव विस्फोट मामले में बरी किए गए आरोपियों के खिलाफ अपील पर विचार किया
मालेगांव विस्फोट मामले में एनआईए की प्रतिक्रिया
राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने संकेत दिया है कि वह 2008 के मालेगांव विस्फोट मामले में सभी सात आरोपियों के बरी होने के खिलाफ पीड़ितों द्वारा दायर अपील पर जवाब देने पर विचार कर रही है। महाराष्ट्र सरकार और केंद्रीय जांच एजेंसियों, जैसे आतंकवाद निरोधी दस्ते (एटीएस) या एनआईए, ने पूर्व भाजपा सांसद प्रज्ञा ठाकुर, सेवानिवृत्त कर्नल प्रसाद पुरोहित और अन्य को बरी करने के खिलाफ कोई अपील दायर नहीं की है।
जब पीड़ितों की अपील मुख्य न्यायाधीश चंद्रशेखर और न्यायमूर्ति गौतम ए. अंखड की पीठ के समक्ष आई, तो अदालत ने एजेंसियों से पूछा कि क्या वे कोई लिखित दलीलें प्रस्तुत करना चाहेंगी। एनआईए की ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल अनिल सिंह ने कहा कि वे इस पर विचार कर रहे हैं।
पीठ ने यह भी पाया कि कुछ बरी किए गए आरोपियों को अभी तक नोटिस नहीं दिए गए हैं, जिसके कारण वे अदालत में उपस्थित नहीं हो सके। पीठ ने निर्देश दिया कि पुलिस उन दो आरोपियों को नोटिस तामील कराने में सहायता करे जो अपील के बाद भी अदालत में पेश नहीं हुए हैं।
ठाकुर और बरी किए गए मेजर (सेवानिवृत्त) रमेश उपाध्याय की ओर से अधिवक्ता प्रकाश सालसिंगिकर ने पेश होकर कहा कि वे पेपरबुक मिलने के बाद जवाब दाखिल करेंगे, जिसमें मामले से संबंधित सभी आवश्यक दस्तावेज शामिल होंगे। हालांकि, सिंह ने इसका विरोध करते हुए कहा कि कागजात व्यवस्थित करने और जवाब दाखिल करने के लिए दो हफ्ते का समय दिया जाए।
29 सितंबर, 2008 को मालेगांव में एक मस्जिद के पास एक मोटरसाइकिल पर बंधे विस्फोटक में विस्फोट हुआ था। एटीएस की जांच के अनुसार, यह मोटरसाइकिल प्रज्ञा ठाकुर की थी और आरडीएक्स सेवारत सैन्य अधिकारी लेफ्टिनेंट पुरोहित ने कश्मीर में अपने कार्यकाल के दौरान हासिल किया था।