एंड्रोपॉज: पुरुषों में हार्मोनल बदलाव और उनके प्रभाव
एंड्रोपॉज क्या है?
जब किसी महिला का मासिक धर्म स्थायी रूप से समाप्त हो जाता है, तो इसे मेनोपॉज कहा जाता है, जो आमतौर पर 40 से 50 वर्ष की आयु में होता है। हालांकि, यह समस्या केवल महिलाओं तक सीमित नहीं है; पुरुषों में भी हार्मोनल परिवर्तन होते हैं, जिसे एंड्रोपॉज कहा जाता है। यह स्थिति मुख्यतः टेस्टोस्टेरोन हार्मोन के स्तर में कमी के कारण होती है और आमतौर पर 40 से 55 वर्ष की आयु के बीच देखी जाती है।
एंड्रोपॉज के लक्षण
कई बार इसके लक्षण इतने हल्के होते हैं कि लोग इन्हें अनदेखा कर देते हैं। लेकिन यदि समय पर ध्यान नहीं दिया गया, तो यह गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकता है। एंड्रोपॉज के सामान्य लक्षणों में शामिल हैं:
- 40-50 वर्ष की आयु के बाद बदलाव महसूस करना।
- लगातार थकान और ऊर्जा की कमी।
- मूड स्विंग, चिड़चिड़ापन और अवसाद।
- यौन इच्छा में कमी और इरेक्टाइल डिसफंक्शन।
- वजन बढ़ना, विशेषकर पेट के आसपास।
- नींद की समस्याएं और रात में बार-बार जागना।
- मांसपेशियों में कमजोरी और हड्डियों का घनत्व कम होना।
एंड्रोपॉज के कारण
दिल्ली के एक वरिष्ठ चिकित्सक के अनुसार, एंड्रोपॉज का मुख्य कारण शरीर में टेस्टोस्टेरोन हार्मोन का स्तर कम होना है। इसके अलावा, तनाव और खराब जीवनशैली भी इस समस्या को बढ़ा सकते हैं। शराब और धूम्रपान से हार्मोनल संतुलन बिगड़ता है, और शारीरिक गतिविधियों की कमी भी टेस्टोस्टेरोन के स्तर को प्रभावित कर सकती है।
एंड्रोपॉज के प्रभाव
एंड्रोपॉज को हल्के में नहीं लेना चाहिए। अक्सर लोग इसे नजरअंदाज कर देते हैं, जिससे आगे चलकर स्वास्थ्य समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं, जैसे हृदय रोग, बढ़ा हुआ ब्लड शुगर, कमजोर हड्डियां, और मानसिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव।
एंड्रोपॉज से बचाव के उपाय
यदि आप एंड्रोपॉज की स्थिति में हैं, तो घबराने की आवश्यकता नहीं है। आप अपने जीवनशैली में कुछ बदलाव करके इसे नियंत्रित कर सकते हैं:
- संतुलित आहार लें - प्रोटीन, हरी सब्जियां और सूखे मेवे शामिल करें।
- नियमित व्यायाम करें - वेट ट्रेनिंग और योग से हार्मोन संतुलित रहता है।
- तनाव को कम करें - ध्यान और नियमित दिनचर्या अपनाएं।
- पर्याप्त नींद लें - हर रात 7-8 घंटे सोने का प्रयास करें।
- डॉक्टर से सलाह लें - आवश्यकता पड़ने पर टेस्टोस्टेरोन थेरेपी पर चर्चा करें।