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उल्फा (आई) कमांडर अरुणोदय असोम का आत्मसमर्पण, असम में सुरक्षा बलों को मिली सफलता

उल्फा (आई) के कमांडर अरुणोदय असोम ने हाल ही में आत्मसमर्पण किया है, जिससे असम में सुरक्षा बलों को एक महत्वपूर्ण सफलता मिली है। मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने इसकी पुष्टि की है, और यह घटनाक्रम राज्य में चल रही शांति प्रक्रिया पर नए सवाल खड़े कर रहा है। जानें इस मामले की पूरी जानकारी और इसके पीछे के कारण।
 

उल्फा (आई) कमांडर का आत्मसमर्पण

उल्फा (आई) के कमांडर अरुणोदय असोम ने आत्मसमर्पण कर दिया है और वह असम में ही रहेंगे। मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने 23 नवंबर को इस बात की पुष्टि की, जिससे यह संकेत मिलता है कि इस उच्च-प्रोफाइल उग्रवादी मामले को राज्य सरकार द्वारा नियंत्रित किया जाएगा। अरुणोदय, जिसे दोहोतिया के नाम से भी जाना जाता है, ने अपने अंगरक्षक के साथ आत्मसमर्पण किया, लेकिन अधिकारियों ने यह नहीं बताया कि यह प्रक्रिया कहाँ और कैसे हुई। सरमा ने बताया कि उग्रवादी को तिनसुकिया में रखा जाएगा और उसे केवल "डीजी" से मिलने के लिए गुवाहाटी ले जाया जा सकता है।


सुरक्षा बलों की महत्वपूर्ण सफलता

असम के सीमा पर सुरक्षा बलों को एक महत्वपूर्ण सफलता मिली है। अरुणोदय दोटिया, जो 2023-2024 में असम में हुए सेना हमलों का कथित मास्टरमाइंड है, ने पांग्साऊ पास में असम राइफल्स के सामने आत्मसमर्पण किया। उसके साथ उसका बॉडीगार्ड प्रॉमिस भी था, जिसने हथियार डाल दिए। दोनों को असम पुलिस द्वारा दिब्रूगढ़ ले जाया गया। दोटिया, जो उल्फा (आई) के प्रमुख नेता परेश बरुआ का करीबी सहयोगी माना जाता है, संगठन की सैन्य गतिविधियों और संदेशों का प्रबंधन करता था। आत्मसमर्पण के समय 2 फायरआर्म्स, 4 मैगजीन, 52 राउंड कारतूस, एक सैटेलाइट फोन और कई इलेक्ट्रॉनिक उपकरण बरामद हुए।


शांति प्रक्रिया पर सवाल

इस घटनाक्रम ने उल्फा (आई) के साथ चल रही शांति प्रक्रिया पर नए सवाल खड़े कर दिए हैं। मुख्यमंत्री सरमा ने स्पष्ट किया कि जब तक समूह के कमांडर-इन-चीफ परेश बरुआ बातचीत की मेज पर नहीं आते, तब तक वार्ता आगे नहीं बढ़ सकती। उन्होंने कहा, "बातचीत केवल परेश बरुआ के साथ ही हो सकती है। किसी और से बात करने का कोई मतलब नहीं है।" दोहोतिया, जिसे संगठन का एक वरिष्ठ नेता माना जाता है, उन लोगों में शामिल है जिन पर एनआईए ने 2018 में उल्फा (आई) के खिलाफ एक अभियान के दौरान असम पुलिस अधिकारी भास्कर कलिता की हत्या का आरोप लगाया था। अधिकारियों ने इस पर कोई टिप्पणी नहीं की है कि क्या उसके आत्मसमर्पण से लंबित जांच प्रभावित हो सकती है।