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उमर अब्दुल्ला का बयान: कश्मीर में सवाल पूछने की आदत का अभाव

जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने हाल ही में एक कार्यक्रम में कश्मीर में सवाल पूछने की आदत के अभाव पर चिंता व्यक्त की। उन्होंने मजाकिया लहजे में बताया कि पिछले 35 वर्षों में राजनेताओं ने लोगों से सवाल पूछना बंद कर दिया है। अब्दुल्ला ने जम्मू और कश्मीर के बीच राजनीतिक संवाद के अंतर को भी उजागर किया। जानें उनके विचार और कश्मीर की राजनीतिक स्थिति के बारे में।
 

मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला का कार्यक्रम में बयान

जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने शनिवार को एक कार्यक्रम के दौरान कहा कि कश्मीर में राजनेताओं को लोगों से सवाल पूछने की आदत नहीं है, और लोगों को भी जवाब देने की आदत नहीं है। उन्होंने नेहरू पार्क से क्राल सांगरी तक बुलेवार्ड रोड के चौड़ीकरण कार्य की आधारशिला रखने के बाद यह बात कही।


अब्दुल्ला ने मजाक करते हुए कहा, "आपने उपमुख्यमंत्री सुरिंदर चौधरी और मेरे भाषणों में अंतर जरूर महसूस किया होगा। उन्होंने जम्मू में राजनीति की है, जहां सीधे सवालों के सीधे जवाब मिलते हैं, लेकिन कश्मीर में हम लोगों से सवाल पूछना ही भूल गए हैं। पिछले 35 वर्षों में यह आदत छूट गई है।"


उन्होंने 2019 से पहले घाटी में अलगाववादी नारों का जिक्र करते हुए कहा, "अगर आप सड़कों पर भाषण देते हैं और लोगों से पूछते हैं कि उन्हें क्या चाहिए, तो जम्मू में आपको जवाब मिलेगा—‘सड़कें’, लेकिन घाटी में यह सुनिश्चित नहीं है कि क्या जवाब मिलेगा। ‘हम क्या चाहते?’ — ‘टॉय टॉय फिस!’ (कोई जवाब नहीं)।" इस पर श्रोताओं ने हंसी में प्रतिक्रिया दी।


अब्दुल्ला ने आगे कहा, "इसलिए अब हमें सवाल पूछने की आदत नहीं रही और लोगों को भी जवाब देने की आदत नहीं है।" हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि अब कश्मीर में राजनेता और आम लोग धीरे-धीरे सवाल पूछने की आदत विकसित कर रहे हैं, लेकिन इसके परिणाम आने में कुछ समय लगेगा।