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उपराष्ट्रपति राधाकृष्णन ने RSS के 100 वर्ष पूरे होने पर दी बधाई

उपराष्ट्रपति सीपी राधाकृष्णन ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के 100 वर्ष पूरे होने पर संगठन की विविधता में एकता और समाज सेवा के प्रति समर्पण की सराहना की। उन्होंने बताया कि RSS ने धर्म, जाति या भाषा के भेदभाव के बिना सभी को एकजुट किया है और युवाओं को समाज सेवा के लिए प्रेरित किया है। राधाकृष्णन ने संघ के योगदान को राष्ट्र की प्रगति में महत्वपूर्ण बताया और भविष्य में भारत की शक्ति के रूप में उभरने की उम्मीद जताई।
 

RSS का शताब्दी समारोह

उपराष्ट्रपति सीपी राधाकृष्णन

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) ने 2 अक्टूबर को अपने 100 वर्ष पूरे किए। इस अवसर पर नागपुर समेत पूरे देश में संघ के कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। उपराष्ट्रपति सीपी राधाकृष्णन ने इस संगठन के बारे में कहा कि यह धर्म, जाति या भाषा के भेदभाव के बिना सभी को एकजुट करता है। संघ विविधता में एकता का प्रतीक है।

उपराष्ट्रपति ने आगे कहा कि इस समावेशी दृष्टिकोण ने RSS और इसके सहयोगी संगठनों को स्थायी सफलता दिलाई है, जिससे राष्ट्र की समग्र प्रगति संभव हुई है। उन्होंने यह भी बताया कि संघ से जुड़े लोग सच्चे देशभक्त होते हैं और संघ की भूमिका इस महान यात्रा में अत्यंत महत्वपूर्ण रही है।

युवाओं को समाज सेवा के लिए प्रेरित करना

उपराष्ट्रपति ने एक पोस्ट में कहा कि RSS, जो विश्व का सबसे बड़ा राष्ट्रभक्त संगठन है, ने 100 वर्षों में आत्मानुशासित और जिम्मेदार नागरिकों का निर्माण किया है। 1925 में केशव बलिराम हेडगेवार द्वारा स्थापित होने के बाद से, संघ ने युवाओं को मजबूत आंतरिक चरित्र और निस्वार्थ समाज सेवा के लिए प्रेरित किया है।

सेवा परमो धर्मः का आदर्श

उपराष्ट्रपति ने बताया कि ‘सेवा परमो धर्मः’ के सिद्धांत से प्रेरित स्वयंसेवक बाढ़, अकाल, भूकंप या अन्य आपदाओं के समय बिना किसी अपेक्षा के पीड़ितों की सहायता करते हैं। यह निस्वार्थ सेवा राष्ट्र के लिए एक अनमोल उपहार है।

भेदभाव से मुक्त सेवा

उन्होंने कहा कि RSS सेवा करते समय कभी भी धर्म, जाति या भाषा के आधार पर भेदभाव नहीं करता। उपराष्ट्रपति ने विश्वास व्यक्त किया कि भारत जल्द ही विश्व की सर्वोच्च शक्ति के रूप में स्थापित होगा। संघ के 100 वर्ष पूरे होने पर उन्होंने समाज की सेवा में इसके निरंतर योगदान के लिए शुभकामनाएं दीं।