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उदयनिधि स्टालिन की संस्कृत पर टिप्पणी से राजनीतिक विवाद बढ़ा

तमिलनाडु के उपमुख्यमंत्री उदयनिधि स्टालिन ने संस्कृत को मृत भाषा कहकर केंद्र सरकार की प्राथमिकताओं पर सवाल उठाया है। उनकी इस टिप्पणी ने भाजपा के नेताओं की तीखी प्रतिक्रिया को जन्म दिया है, जिन्होंने इसे सांस्कृतिक अपमान करार दिया। जानें इस विवाद के पीछे की कहानी और राजनीतिक प्रतिक्रियाएँ।
 

राजनीतिक तूफान का आरंभ

तमिलनाडु के उपमुख्यमंत्री उदयनिधि स्टालिन ने संस्कृत को एक मृत भाषा कहकर केंद्र सरकार की वित्तीय प्राथमिकताओं पर सवाल उठाया है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हालिया टिप्पणियों पर भी कटाक्ष किया, जिससे एक नया राजनीतिक विवाद उत्पन्न हो गया। डीएमके नेता ने एक पुस्तक विमोचन समारोह में कहा कि केंद्र ने तमिल विकास के लिए केवल 150 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं, जो कि अत्यंत कम है।


प्रधानमंत्री पर सवाल

उदयनिधि ने प्रधानमंत्री से सवाल करते हुए कहा कि यदि वे तमिल सीखने के प्रति उत्सुक हैं, तो बच्चों को हिंदी और संस्कृत क्यों सिखाया जा रहा है? उन्होंने यह भी बताया कि पिछले दस वर्षों में संस्कृत के लिए 2400 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है, जबकि तमिल के लिए केवल 150 करोड़ रुपये का। यह टिप्पणी राजनीतिक विवाद का कारण बनी, जब भाजपा ने उदयनिधि पर सांस्कृतिक परंपराओं का अपमान करने का आरोप लगाया।


भाजपा की तीखी प्रतिक्रिया

भाजपा नेता और तेलंगाना की पूर्व राज्यपाल तमिलिसाई सुंदरराजन ने उदयनिधि की टिप्पणियों की निंदा की। उन्होंने कहा कि तमिल संस्कृति अन्य भाषाओं को नीचा दिखाने का समर्थन नहीं करती। सुंदरराजन ने कहा, "हम अपनी भाषा की कद्र कर सकते हैं, लेकिन तमिल भी अन्य भाषाओं को नीचा दिखाने की अनुमति नहीं देगी।" उन्होंने उपमुख्यमंत्री से अपनी टिप्पणी वापस लेने की मांग की।


उदयनिधि की टिप्पणियों पर और प्रतिक्रिया

सुंदरराजन ने उदयनिधि की टिप्पणियों को निंदनीय बताते हुए कहा कि उन्होंने पहले भी सनातन धर्म का अपमान किया था और अब हमारी प्रार्थनाओं में प्रयुक्त भाषा को निशाना बना रहे हैं। उन्होंने कहा कि उनकी मातृभाषा तमिल उदारवादी है और अन्य भाषाएँ बोलने वाले लोग भी इसकी सराहना करते हैं।