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उत्पन्ना एकादशी 2025: पारण का सही समय और आहार

उत्पन्ना एकादशी 2025 का व्रत पारण 16 नवंबर को होगा। जानें इस दिन का सही समय और पारण में क्या खाना चाहिए। यह व्रत भगवान विष्णु को समर्पित है और इसके पीछे कई धार्मिक मान्यताएँ हैं। इस लेख में हम आपको पारण का समय और आहार के बारे में जानकारी देंगे, जिससे आप इस विशेष दिन का सही तरीके से पालन कर सकें।
 

उत्पन्ना एकादशी व्रत पारण का समय

एकादशी व्रत पारण

उत्पन्ना एकादशी व्रत पारण का समय: एकादशी तिथि को विशेष रूप से पुण्यदायी माना जाता है, जो भगवान विष्णु को समर्पित है। उत्पन्ना एकादशी का महत्व इस कारण से है कि इस दिन भगवान विष्णु के शरीर से एकादशी माता का जन्म हुआ था। इस दिन से एकादशी व्रत का आरंभ होता है। यह व्रत हर साल मार्गशीर्ष मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को मनाया जाता है, जो कि 15 नवंबर 2025 को है। आज, यानी 16 नवंबर को, उत्पन्ना एकादशी का पारण किया जाएगा। आइए जानते हैं सही समय।

उत्पन्ना एकादशी व्रत का पारण कब होगा?

एकादशी व्रत का पारण द्वादशी तिथि पर किया जाता है। पंचांग के अनुसार, उत्पन्ना एकादशी व्रत का पारण 16 नवंबर 2025 को दोपहर 1:10 से 3:16 बजे के बीच होगा।

  1. उत्पन्ना एकादशी व्रत पारण – 16 नवंबर, दोपहर 1:10 से 3:16 बजे तक।
  2. हरि वासर समाप्ति का समय: 16 नवंबर सुबह 09:09 बजे।

एकादशी व्रत का पारण किस आहार से करना चाहिए?

एकादशी व्रत का पारण सात्विक भोजन से करना चाहिए, जिसमें फल, दूध से बने उत्पाद (जैसे दही, पनीर), सूखे मेवे और तुलसी दल शामिल हैं। पारण के समय पहले भगवान को भोग लगाएं, फिर तुलसी दल का सेवन करें, उसके बाद अन्य सात्विक भोजन ग्रहण करें। प्याज, लहसुन, मसूर दाल, बैंगन और मूली जैसे तामसिक खाद्य पदार्थों से बचना चाहिए।

क्या एकादशी के पारण में चावल खाना चाहिए?

एकादशी के पारण (व्रत तोड़ने) के दिन चावल खाना उचित माना जाता है। द्वादशी के दिन चावल खाना शुभ है, क्योंकि इसे भगवान विष्णु का प्रिय भोजन माना जाता है। हालांकि, एकादशी के दिन चावल खाना मना है, इसलिए व्रत का पारण द्वादशी तिथि को ही करना चाहिए।

(यह जानकारी धार्मिक मान्यताओं और सामान्य जानकारियों पर आधारित है।)