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उत्तराखंड हाई कोर्ट ने BCCI को 12 करोड़ रुपये के फंड दुरुपयोग पर नोटिस जारी किया

उत्तराखंड हाई कोर्ट ने BCCI को 12 करोड़ रुपये के फंड दुरुपयोग के आरोप में नोटिस जारी किया है। इस मामले में सबसे चौंकाने वाला खर्च 35 लाख रुपये का केला है, जो खिलाड़ियों के लिए पोषण योजना का हिस्सा बताया गया है। याचिकाकर्ता इस खर्च की जांच की मांग कर रहे हैं और BCCI पर आरोप लगा रहे हैं कि उसने केंद्रीय फंड के वितरण की निगरानी नहीं की। अगली सुनवाई 19 सितंबर को होगी, जिसमें BCCI की प्रतिक्रिया का इंतजार किया जा रहा है।
 

अजीबोगरीब मामला

उत्तराखंड हाई कोर्ट ने भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) को 12 करोड़ रुपये के फंड दुरुपयोग के आरोप में नोटिस जारी किया है। इस मामले में सबसे चौंकाने वाला खर्च 35 लाख रुपये का है, जो खिलाड़ियों के लिए केले पर खर्च किया गया।


नोटिस का कारण

एक रिपोर्ट के अनुसार, याचिकाकर्ताओं ने अदालत में यह मांग की है कि यह जांच की जाए कि केंद्रीय फंड, जो राज्य में क्रिकेट के विकास के लिए निर्धारित थे, का उपयोग कैसे किया गया। ऑडिट रिपोर्ट में यह दावा किया गया है कि 35 लाख रुपये का बिल केले के लिए जारी किया गया था, जो खिलाड़ियों के पोषण योजना का हिस्सा बताया गया।


हाई कोर्ट की सुनवाई

इस सप्ताह एकल पीठ ने न्यायाधीश मनोज कुमार तिवारी की अध्यक्षता में मामले की सुनवाई की। संजय रावत और अन्य द्वारा दायर की गई याचिका में क्रिकेट विकास फंड के दुरुपयोग की जिम्मेदारी मांगी गई है। अगली सुनवाई 19 सितंबर को होगी।


खर्चों का विवरण

याचिकाकर्ताओं का कहना है कि ऑडिट रिपोर्ट में दिखाया गया है कि 6.4 करोड़ रुपये इवेंट प्रबंधन पर खर्च किए गए, और कुल 26.3 करोड़ रुपये टूर्नामेंट और परीक्षण खर्चों पर खर्च किए गए।


केले का खर्च

क्रिकेट बोर्डों के लिए करोड़ों का खर्च कोई नई बात नहीं है, लेकिन 35 लाख रुपये का केला खर्च ने सभी को चौंका दिया है। भले ही खिलाड़ियों को हर दिन केले दिए गए हों, लेकिन इस राशि से यह स्पष्ट होता है कि या तो कोई गंभीर लेखा त्रुटि है या फिर यह खर्च किसी योजना के तहत छिपा हुआ है।


याचिकाकर्ताओं की मांग

याचिका में आरोप लगाया गया है कि CAU ने खिलाड़ियों की भलाई के नाम पर खर्चों को बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया है। वे एक स्वतंत्र जांच की मांग कर रहे हैं और BCCI पर आरोप लगा रहे हैं कि उसने केंद्रीय फंड के वितरण की निगरानी नहीं की।


क्रिकेट का बड़ा चित्र

यह पहली बार नहीं है जब किसी राज्य संघ को संदिग्ध खर्चों के लिए आलोचना का सामना करना पड़ा है। BCCI के पास दुनिया की सबसे समृद्ध क्रिकेट अर्थव्यवस्थाओं में से एक है, लेकिन राज्य इकाइयों में फंड के वितरण की पारदर्शिता अक्सर संदिग्ध होती है।


आगे क्या होगा?

19 सितंबर को अगली सुनवाई के साथ, सभी की नजर BCCI की प्रतिक्रिया पर होगी। क्या कोई आंतरिक अनुशासनात्मक कार्रवाई होगी? या फिर इस केले के मामले को नजरअंदाज कर दिया जाएगा?