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उत्तराखंड में भारी बारिश से दो वायुसेना जवानों की मौत, जीवन प्रभावित

उत्तराखंड में भारी बारिश ने तबाही मचाई है, जिसमें दो भारतीय वायुसेना जवानों की जान चली गई। बारिश के कारण नदियाँ उफान पर हैं और कई सड़कें बंद हो गई हैं, जिससे चारधाम यात्रा भी प्रभावित हुई है। जानें, इस प्राकृतिक आपदा ने राज्य के जीवन को किस तरह से प्रभावित किया है और प्रशासन की क्या तैयारी है।
 

उत्तराखंड में बारिश का कहर

उत्तराखंड में बारिश ने पहाड़ों पर भारी तबाही मचाई है। मौसम की भविष्यवाणियों से अधिक बारिश हो रही है, जिससे नदियाँ उफान पर हैं और झीलों का पानी शहरों में घुसने लगा है। इस बीच, एक दुखद घटना में, भीमताल की एक झील में डूबने से भारतीय वायुसेना के दो जवानों की जान चली गई। अधिकारियों ने शुक्रवार को इस घटना की जानकारी दी।


क्षेत्राधिकारी प्रमोद शाह ने बताया कि प्रिंस यादव (22) और साहिल कुमार (23), जो क्रमशः पंजाब और बिहार के निवासी थे, चार महिलाओं सहित आठ वायुसेना कर्मियों के समूह में नैनीताल में छुट्टियाँ मनाने गए थे।


स्थानीय लोगों ने पुलिस के साथ मिलकर बचाव कार्य किया और लगभग एक घंटे की मेहनत के बाद दोनों जवानों के शव झील से निकाले गए। राज्य में हो रही भारी बारिश ने सामान्य जीवन को प्रभावित किया है, जिससे सौ से अधिक सड़कें बंद हो गई हैं। इसके कारण चारधाम यात्रा भी बाधित हुई है और उत्तरकाशी जिले के कुछ गांवों में खाद्यान्न की कमी हो गई है।


सिलाई मोड़ पर निर्माण श्रमिकों के आश्रय स्थल भारी भूस्खलन की चपेट में आने के बाद पिछले पांच दिनों से यमुनोत्री जाने वाला राजमार्ग अवरुद्ध है। भूस्खलन के कारण नौ लोग लापता हो गए हैं और सड़क का 12 मीटर हिस्सा बह गया है।


अधिकारियों ने बताया कि सोनप्रयाग और गौरीकुंड के बीच भूस्खलन के मलबे के कारण केदारनाथ जाने वाला मार्ग भी अवरुद्ध हो गया है। उन्होंने कहा कि मार्ग को फिर से खोलने के प्रयास जारी हैं।


गृह मंत्री अमित शाह ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से बात की और रुद्रप्रयाग जिले में केदारनाथ धाम सहित आपदा के लिहाज से संवेदनशील जिलों की स्थिति का आकलन किया। धामी ने सोशल मीडिया पर लिखा कि केंद्रीय गृहमंत्री ने स्थिति की गंभीरता को देखते हुए एनडीआरएफ और आईटीबीपी को तैनात करने का आश्वासन दिया।


राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र ने बताया कि बारिश के कारण राज्य भर में कुल 109 सड़कें अवरुद्ध हैं। हरिद्वार में गंगा, चमोली में अलकनंदा, नंदाकिनी और पिंडर, उत्तरकाशी में भागीरथी और पिथौरागढ़ जिले में काली, गोरी एवं सरयू नदियाँ उफान पर हैं।


प्रशासन झील के किनारे रहने वाले लोगों को सचेत करने के लिए लाउडस्पीकर के माध्यम से घोषणाएँ कर रहा है। उत्तरकाशी के बड़कोट क्षेत्र में यमुना नदी के उफान से बनी झील का पानी मकानों और होटलों में घुसने लगा है।


यमुनोत्री राजमार्ग को फिर से खोलने के प्रयास भी किए जा रहे हैं। स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ता महावीर पंवार माही ने प्रशासन से प्रभावित गांवों में आवश्यक वस्तुओं की उपलब्धता सुनिश्चित करने का आग्रह किया।