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उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने बागेश्वर नगर पालिका के अधिकारियों को अवमानना नोटिस जारी किया

उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने बागेश्वर नगर पालिका के कार्यवाहक अधिशासी अधिकारी की नियुक्ति से जुड़े विवाद में नगर पालिका परिषद के अध्यक्ष और प्रधान सहायक को अवमानना नोटिस जारी किया है। यह मामला तब शुरू हुआ जब हयात सिंह परिहार को कार्यवाहक ईओ नियुक्त किया गया, लेकिन उन्हें वित्तीय शक्तियां नहीं दी गईं। इसके बाद, परिहार का स्थानांतरण कर दिया गया और नई नियुक्ति पर रोक लगाई गई। जानें इस विवाद के सभी पहलुओं के बारे में।
 

बागेश्वर नगर पालिका में विवाद का मामला

उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने बागेश्वर नगर पालिका के कार्यवाहक अधिशासी अधिकारी (ईओ) की नियुक्ति से जुड़े विवाद में सख्त रुख अपनाया है। न्यायालय ने नगर पालिका परिषद के अध्यक्ष सुरेश खेतवाल और प्रधान सहायक विजय सिंह कनवासी को अवमानना नोटिस जारी किया है, क्योंकि वे पूर्व में दिए गए आदेशों का पालन करने में असफल रहे हैं।


हयात सिंह परिहार, जो बागेश्वर के निवासी हैं, ने उच्च न्यायालय में अवमानना याचिका दायर की। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने उन्हें 17 सितंबर 2025 को कार्यवाहक ईओ नियुक्त किया और उन्होंने अगले दिन कार्यभार ग्रहण कर लिया। हालांकि, कार्यभार ग्रहण करने के बावजूद, नगरपालिका परिषद के अध्यक्ष ने उन्हें लगभग तीन सप्ताह तक वित्तीय शक्तियां नहीं दीं।


याचिका में बताया गया है कि स्थिति तब और बिगड़ गई जब परिहार के स्थान पर एक अन्य अधिकारी को कार्यवाहक ईओ नियुक्त किया गया और परिहार का तबादला हल्द्वानी नगर निगम में कर दिया गया। परिहार ने इन दोनों निर्णयों को उच्च न्यायालय में चुनौती दी, जिसने नई नियुक्ति पर रोक लगा दी।


अदालत के हस्तक्षेप के बाद, सरकार ने 14 अक्टूबर 2025 को अपना आदेश वापस ले लिया और नई नियुक्ति तथा परिहार का स्थानांतरण दोनों को रद्द कर दिया। सरकार ने न्यायालय को सूचित किया कि नियमित ईओ की नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है और पिछली याचिका का निपटारा कर दिया गया है।


इसके बावजूद, बागेश्वर नगर पालिका ने 17 अक्टूबर 2025 को एक बैठक आयोजित की और परिहार को नजरअंदाज करते हुए प्रधान सहायक विजय सिंह कनवासी को कार्यवाहक ईओ नियुक्त करने का निर्णय लिया। परिहार ने इस निर्णय को भी चुनौती दी, जिसके बाद उच्च न्यायालय ने 31 अक्टूबर 2025 को नगर पालिका के निर्णय पर रोक लगा दी। हालांकि, रोक के बावजूद परिहार को कार्यवाहक ईओ के रूप में कार्य करने की अनुमति नहीं दी गई, जिसके कारण उन्होंने अवमानना की कार्यवाही शुरू करने का अनुरोध किया।


न्यायमूर्ति रविंद्र मैठाणी की एकल पीठ ने अब नगर पालिका अध्यक्ष और प्रधान सहायक को अवमानना नोटिस जारी किया है और उन्हें न्यायालय में अपना पक्ष रखने का निर्देश दिया है।