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उत्तर प्रदेश में भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त कार्रवाई: चार अधिकारियों की बर्खास्तगी

उत्तर प्रदेश सरकार ने भ्रष्टाचार के मामलों में चार अधिकारियों को बर्खास्त कर दिया है और तीन सेवानिवृत्त अधिकारियों की पेंशन में स्थायी कटौती का आदेश दिया है। यह कार्रवाई मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की जीरो टॉलरेंस नीति के तहत की गई है। अधिकारियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने और सरकारी धन की वसूली के निर्देश भी दिए गए हैं। जानें इस सख्त कार्रवाई के पीछे की पूरी कहानी और क्या कदम उठाए जाएंगे आगे।
 

भ्रष्टाचार के मामलों में कार्रवाई

उत्तर प्रदेश सरकार ने एक दशक पुराने विभिन्न मामलों में भ्रष्टाचार के आरोपों के सिद्ध होने के बाद चार अधिकारियों को बर्खास्त कर दिया है। इसके साथ ही, तीन सेवानिवृत्त अधिकारियों की पेंशन में स्थायी कटौती का आदेश भी दिया गया है।


समाज कल्याण विभाग के आधिकारिक सूत्रों के अनुसार, यह कार्रवाई मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की भ्रष्टाचार के प्रति जीरो टॉलरेंस नीति के तहत की गई है।


एक बयान में कहा गया है कि आरोपित अधिकारियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने और सरकारी धन की वसूली के निर्देश भी दिए गए हैं। बर्खास्त किए गए अधिकारियों में पूर्व जिला समाज कल्याण अधिकारी मीना श्रीवास्तव (श्रावस्ती), करुणेश त्रिपाठी (मथुरा), संजय कुमार ब्यास (हापुड़) और राजेश कुमार (शाहजहांपुर) शामिल हैं।


बयान के अनुसार, श्रीवास्तव को लाभार्थियों के डेटा में हेरफेर और छात्रवृत्ति राशि के गबन का दोषी पाया गया। त्रिपाठी और ब्यास पर करोड़ों रुपये की छात्रवृत्ति राशि को गैर-मान्यता प्राप्त निजी संस्थानों में स्थानांतरित करने का आरोप है। कुमार ने कथित तौर पर लाभार्थियों के बैंक खातों में हेरफेर करके पेंशन राशि को अपात्र व्यक्तियों तक पहुंचाया।


बयान में यह भी कहा गया है कि सेवानिवृत्त अधिकारियों श्रीभगवान (औरैया), विनोद शंकर तिवारी (मथुरा) और उमा शंकर शर्मा (मथुरा) की पेंशन में 10 से 50 प्रतिशत तक की स्थायी कटौती की जाएगी। इसके साथ ही, उनसे करोड़ों रुपये की वसूली की कार्रवाई भी की जाएगी।


प्रदेश के समाज कल्याण राज्य मंत्री असीम अरुण ने कहा, 'मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त कार्रवाई जारी रहेगी। जल्द ही लंबित मामलों को फिर से खोला जाएगा और आवश्यकता पड़ने पर रिपोर्ट दर्ज की जाएगी।'