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उच्चतम न्यायालय ने शीशे के पैनल हटाने का लिया निर्णय

उच्चतम न्यायालय ने बार संगठनों के अनुरोध पर अदालत कक्षों में लगे शीशे के पैनल को हटाने का निर्णय लिया है। यह कदम न्यायालय की मूल भव्यता और ऐतिहासिक महत्व को संरक्षित करने के उद्देश्य से उठाया गया है। एससीबीए ने पहले ही इस मुद्दे को उठाया था, जिसमें कहा गया था कि शीशे के पैनल के कारण गलियारे में स्थान की कमी हो रही है। जानें इस निर्णय के पीछे की पूरी कहानी और इसके प्रभाव।
 

शीशे के पैनल को हटाने का निर्णय

उच्चतम न्यायालय प्रशासन ने शनिवार को जानकारी दी कि बार संगठनों से प्राप्त अनुरोधों के आधार पर, पूर्ण अदालत ने अदालत कक्ष संख्या एक से पांच तक लगे शीशे के पैनल को हटाने का निर्णय लिया है।


एक आधिकारिक बयान में बताया गया कि पूर्ण अदालत ने इस संबंध में 'सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (एससीबीए)' और 'सुप्रीम कोर्ट एडवोकेट्स-ऑन-रिकॉर्ड एसोसिएशन (एससीएओआरए)' द्वारा भेजे गए ज्ञापनों पर विचार किया।


बयान में कहा गया है, 'मूल भव्यता, दृश्यता, सौंदर्यबोध और न्यायालय कक्ष तक पहुंच से संबंधित विभिन्न मुद्दों पर गहन विचार करने के बाद, पूर्ण अदालत ने शीशे के पैनल को हटाने का निर्णय लिया।'


पिछले साल दिसंबर में, सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (एससीबीए) ने तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश संजीव खन्ना से अनुरोध किया था कि वातानुकूलन के लिए लगाए गए शीशे के पैनल को हटाया जाए और उच्चतम न्यायालय के गलियारों के ऐतिहासिक स्वरूप को बहाल किया जाए।


एससीबीए ने पत्र में उल्लेख किया था कि शीशे के पैनल के कारण गलियारे में स्थान की कमी हो गई है, जिससे व्यस्त समय में बार के सदस्यों, पंजीकृत लिपिकों, प्रशिक्षुओं और वादियों को आने-जाने में कठिनाई होती है।


पत्र में कहा गया था, 'हम उच्चतम न्यायालय के ऐतिहासिक महत्व को संरक्षित करने के लिए शीशे के पैनल को हटाने और गलियारे को उसके मूल स्वरूप में बहाल करने का अनुरोध करते हैं।'