उच्चतम न्यायालय ने मध्य प्रदेश में पैरामेडिकल पाठ्यक्रमों के प्रवेश को फिर से शुरू करने की अनुमति दी
पैरामेडिकल पाठ्यक्रमों में प्रवेश प्रक्रिया का पुनः आरंभ
उच्चतम न्यायालय ने मध्य प्रदेश में शैक्षणिक वर्ष 2023-24 और 2024-25 के लिए पैरामेडिकल पाठ्यक्रमों में प्रवेश प्रक्रिया को फिर से शुरू करने का निर्णय लिया है।
इससे पहले, मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय की जबलपुर खंडपीठ ने 16 जुलाई को विधि छात्र संघ द्वारा दायर याचिका पर विचार करते हुए इन पाठ्यक्रमों की मान्यता और प्रवेश प्रक्रिया पर रोक लगा दी थी।
प्रधान न्यायाधीश बी आर गवई और न्यायमूर्ति के विनोद चंद्रन की पीठ को बताया गया कि उच्च न्यायालय का आदेश कुछ कानून के छात्रों द्वारा दायर याचिका के आधार पर पारित किया गया था, जिनका इस मामले से कोई संबंध नहीं था।
वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने कोविड-19 महामारी का हवाला देते हुए कहा कि महामारी के कारण कई पैरामेडिकल पाठ्यक्रम समय पर शुरू नहीं हो सके।
उन्होंने यह भी बताया कि पैरामेडिकल परिषद का पंजीयक संस्थानों को मान्यता देता है और प्रवेश प्रक्रिया का संचालन करता है, लेकिन उच्च न्यायालय के आदेश ने सब कुछ ठप कर दिया।
प्रधान न्यायाधीश ने सवाल उठाया, 'कानून के छात्र इस तरह की याचिका कैसे दायर कर सकते हैं?' इसके बाद, उच्चतम न्यायालय ने उच्च न्यायालय के आदेश पर रोक लगा दी।
प्रधान न्यायाधीश ने पैरामेडिकल परिषद की याचिका पर राज्य सरकार और अन्य को नोटिस भी जारी किए।
उच्च न्यायालय का स्थगन आदेश 166 पैरामेडिकल संस्थानों को 2023-24 शैक्षणिक वर्ष के लिए पाठ्यक्रम शुरू करने की अनुमति देने के बाद आया है, जबकि इन संस्थानों को मान्यता केवल 2025 में दी जाएगी।
उच्च न्यायालय ने समय सीमा को 'अतार्किक' बताते हुए सवाल किया कि संस्थान 2023-24 के लिए शैक्षणिक सत्र 2025 में कैसे शुरू कर सकते हैं, जबकि पाठ्यक्रम शुरू होने के समय उनका अस्तित्व ही नहीं था।