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उच्चतम न्यायालय ने कपिल वधावन और धीरज को जमानत दी

उच्चतम न्यायालय ने कपिल वधावन और उनके भाई धीरज को जमानत दी है, यह निर्णय उनके अधिकारों की सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण है। न्यायालय ने कहा कि बिना मुकदमे के लंबे समय तक कैद रहना अनुच्छेद 21 का उल्लंघन है। जानें इस मामले की पूरी जानकारी और न्यायालय के निर्णय के पीछे के तर्क।
 

जमानत का निर्णय

उच्चतम न्यायालय ने यह ध्यान में रखते हुए कि विचाराधीन कैदियों को अनिश्चितकाल तक जेल में नहीं रखा जाना चाहिए, करोड़ों रुपये के बैंक ऋण घोटाले के मामले में डीएचएफएल के पूर्व प्रवर्तक कपिल वधावन और उनके भाई धीरज को जमानत प्रदान की है।


न्यायमूर्ति जे.के. माहेश्वरी और न्यायमूर्ति विजय बिश्नोई की पीठ ने 11 दिसंबर को दिए गए अपने आदेश में कहा कि बिना मुकदमे के लंबे समय तक कैद रहना अनुच्छेद 21 के मूल सिद्धांतों का उल्लंघन है, जो जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार की सुरक्षा करता है। उच्चतम न्यायालय ने यह भी स्पष्ट किया कि भारतीय कानून के अनुसार, 'जमानत नियम है और कारावास अपवाद है', जो आपराधिक न्यायशास्त्र के मूल सिद्धांतों में शामिल है।