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उच्चतम न्यायालय ने आजम खान के परिवार की याचिकाओं पर उत्तर प्रदेश सरकार से मांगा जवाब

उच्चतम न्यायालय ने समाजवादी पार्टी के नेता आजम खान की पत्नी और बेटे द्वारा दायर याचिकाओं पर उत्तर प्रदेश सरकार से जवाब मांगा है। इन याचिकाओं में फर्जी जन्म प्रमाण पत्र मामले में दोषसिद्धि को निलंबित करने का अनुरोध किया गया है। प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि दोषसिद्धि पर रोक केवल दुर्लभ मामलों में लगाई जानी चाहिए। उच्च न्यायालय ने पहले ही सजा को निलंबित किया था, लेकिन दोषसिद्धि पर रोक लगाने से इनकार कर दिया। यह मामला आजम खान के राजनीतिक करियर और सामाजिक प्रतिष्ठा पर गंभीर प्रभाव डाल सकता है।
 

आजम खान के परिवार की याचिकाओं पर सुनवाई

उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को समाजवादी पार्टी के नेता आजम खान की पत्नी तजीन फातिमा और उनके बेटे अब्दुल्ला आजम खान द्वारा दायर की गई अलग-अलग याचिकाओं पर उत्तर प्रदेश सरकार से प्रतिक्रिया मांगी है।


इन याचिकाओं में आरोपित फर्जी जन्म प्रमाण पत्र मामले में उनकी दोषसिद्धि को निलंबित करने का अनुरोध किया गया है। प्रधान न्यायाधीश बी आर गवई, न्यायमूर्ति सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति के विनोद चंद्रन की पीठ ने याचिकाकर्ताओं की ओर से उपस्थित वकील निजाम पाशा से पूछा कि अदालत दोषसिद्धि पर रोक कैसे लगा सकती है।


प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि दोषसिद्धि पर रोक केवल दुर्लभ मामलों में ही लगाई जानी चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि सामान्यतः सजा को निलंबित किया जाता है। फातिमा और उनके बेटे अब्दुल्ला आजम खान ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के उस आदेश के खिलाफ शीर्ष अदालत का रुख किया है, जिसमें उनकी दोषसिद्धि को निलंबित करने से इनकार किया गया था।


उच्च न्यायालय ने 18 अक्टूबर, 2023 को रामपुर की अधीनस्थ अदालत द्वारा सुनाई गई सजा को तो निलंबित कर दिया था, लेकिन दोषसिद्धि पर रोक लगाने से इनकार कर दिया। इसके परिणामस्वरूप जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 8(3) के तहत उनकी अयोग्यता प्रभावी बनी हुई है।


याचिका में यह तर्क दिया गया है कि उच्च न्यायालय के इस इनकार का उनके राजनीतिक करियर और सामाजिक प्रतिष्ठा पर गंभीर और अपरिवर्तनीय प्रभाव पड़ेगा। याचिका में उच्च न्यायालय के तर्क को गलत और अस्थिर बताते हुए कहा गया है कि जालसाजी का कोई ठोस सबूत नहीं था।