उच्चतम न्यायालय ने अरावली पहाड़ियों के विवाद पर लिया संज्ञान
अरावली पहाड़ियों का विवाद और न्यायालय की कार्रवाई
अरावली पहाड़ियों से जुड़े विवाद के संदर्भ में, उच्चतम न्यायालय ने इस मामले पर स्वतः संज्ञान लेते हुए सोमवार को सुनवाई करने का निर्णय लिया है। प्रधान न्यायाधीश सूर्यकांत की अध्यक्षता में अवकाशकालीन पीठ इस मामले की सुनवाई करेगी, जिसमें न्यायमूर्ति जे.के. माहेश्वरी और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह भी शामिल हैं।
20 नवंबर को, उच्चतम न्यायालय ने अरावली पहाड़ियों और पर्वतमालाओं की एक समान परिभाषा को स्वीकार करते हुए, दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान और गुजरात में फैले अरावली क्षेत्रों में नए खनन पट्टों के आवंटन पर रोक लगा दी थी, जब तक विशेषज्ञों की रिपोर्ट नहीं आ जाती।
अदालत ने पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय की एक समिति की सिफारिशों को मान्यता दी थी। समिति ने बताया कि ‘अरावली पहाड़ी’ को उन चिह्नित अरावली जिलों में किसी भी भू-आकृति के रूप में परिभाषित किया जाएगा, जिसकी ऊंचाई स्थानीय निचले बिंदु से 100 मीटर या उससे अधिक हो। वहीं, ‘अरावली पर्वतमाला’ का मतलब एक-दूसरे से 500 मीटर के भीतर स्थित दो या अधिक पहाड़ियों के समूह से है।