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ईरान के राष्ट्रपति का बड़ा ऐलान: अमेरिकी हमलों से क्षतिग्रस्त परमाणु संयंत्रों का पुनर्निर्माण

ईरान के राष्ट्रपति मसूद पेजेश्कियन ने रविवार को एक महत्वपूर्ण घोषणा की, जिसमें उन्होंने कहा कि अमेरिका के हमलों से नष्ट हुए परमाणु संयंत्रों को फिर से बनाया जाएगा। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि ईरान का उद्देश्य परमाणु हथियारों का विकास नहीं है, बल्कि जनकल्याण और चिकित्सा अनुसंधान को बढ़ावा देना है। इस बीच, एक पूर्व न्यायिक अधिकारी ने दावा किया है कि ईरान दो सप्ताह में परमाणु बम तैयार कर सकता है। जानें इस मुद्दे पर और क्या कहा गया है और ईरान के परमाणु कार्यक्रम की वर्तमान स्थिति क्या है।
 

ईरान के राष्ट्रपति का महत्वपूर्ण बयान

ईरान के राष्ट्रपति मसूद पेजेश्कियन ने एक महत्वपूर्ण घोषणा की है। उन्होंने रविवार को तेहरान में कहा कि अमेरिका के हमलों से नष्ट हुए देश के परमाणु संयंत्रों को फिर से बनाया जाएगा, और इस बार यह पहले से अधिक मजबूत होंगे। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि ईरान का उद्देश्य परमाणु हथियारों का विकास नहीं है, बल्कि जनकल्याण और चिकित्सा अनुसंधान को बढ़ावा देना है। इसके विपरीत, एक पूर्व वरिष्ठ न्यायिक अधिकारी ने यह दावा किया है कि ईरान दो सप्ताह के भीतर परमाणु बम तैयार कर सकता है।


परमाणु ऊर्जा संगठन का दौरा

पेजेश्कियन ने यह बयान तब दिया जब वे देश की परमाणु ऊर्जा संगठन का दौरा कर रहे थे और वहां के वैज्ञानिकों से मिले। सरकारी मीडिया को जानकारी देते हुए उन्होंने कहा कि हमारे भवनों और कारखानों को नष्ट करना हमें परेशान नहीं कर सकता। हम इन्हें फिर से बनाएंगे, और इस बार पहले से कहीं अधिक सशक्त रूप में। कोई भी हमें ऐसा करने से नहीं रोक सकता।


परमाणु बम बनाने की क्षमता

दूसरी ओर, ईरान के पूर्व वरिष्ठ न्यायिक अधिकारी मोहम्मद-जवाद लारीजानी ने कहा है कि ईरान दो सप्ताह के भीतर परमाणु बम बनाने की क्षमता रखता है, लेकिन वे इस रास्ते को अपनाने से इनकार करते हैं। लारीजानी ने बताया कि सर्वोच्च नेता अली खामेनेई ने परमाणु हथियारों के खिलाफ एक मजबूत फतवा जारी किया है, जो शिया न्यायशास्त्र पर आधारित है।


जेसीपीओए की आलोचना

लारीजानी ने 2015 के परमाणु समझौते (जेसीपीओए) की कड़ी आलोचना की, यह कहते हुए कि इसकी कूटनीतिक नीतियों ने ईरान को संकट में डाल दिया है। उन्होंने जोर देकर कहा कि रियायतों के बदले अधिकारों पर आधारित जेसीपीओए का सिद्धांत ऐसा है मानो एक अधिकार प्राप्त करने के लिए दूसरे को त्यागना।


अंतरराष्ट्रीय जांच के बीच बयान

यह बयान तब आया है जब ईरान के परमाणु कार्यक्रम पर अंतरराष्ट्रीय जांच तेज हो रही है, जिसमें यूरेनियम संवर्धन के स्तर और उसके स्टॉक पर सवाल उठाए जा रहे हैं। विश्लेषकों ने खामेनेई के फतवे की वैधता और धार्मिक मान्यता पर भी संदेह व्यक्त किया है। विशेषज्ञों का मानना है कि ईरान का यह दोहरा रुख (परमाणु हथियार बनाने की क्षमता का दावा करना और साथ ही स्वेच्छा से न करने का आश्वासन) कूटनीतिक प्रयासों को और जटिल बना रहा है।


अमेरिकी हमलों का संदर्भ

गौरतलब है कि जून में अमेरिका ने अपने अत्याधुनिक बी-2 स्टील्थ बॉम्बर विमानों से ईरान के परमाणु ठिकानों को नष्ट करने का दावा किया था। उस समय तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा था कि इस हमले ने इतनी तबाही मचाई है कि ईरान अब इन्हें पुनर्निर्मित करने की हिम्मत भी नहीं जुटा सकेगा।