ईरान और सऊदी अरब के बीच बढ़ती दोस्ती: तनाव के बीच नई बातचीत
ईरान और इजराइल के बीच सीजफायर
हाल ही में ईरान और इजराइल के बीच सीजफायर की घोषणा की गई है, लेकिन दोनों देशों के बीच तनाव अभी भी बना हुआ है। ऐसे में यह संभावना जताई जा रही है कि हालात फिर से बिगड़ सकते हैं। ईरान ने इस स्थिति के लिए तैयारी शुरू कर दी है और वह मध्य पूर्व के उन देशों के साथ संबंध सुधारने की कोशिश कर रहा है, जिनसे उसकी लंबे समय से दुश्मनी रही है। इस संदर्भ में सऊदी अरब का नाम सबसे पहले आता है।
मौसवी और सऊदी रक्षा मंत्री की बातचीत
ईरान के सशस्त्र बलों के प्रमुख मेजर जनरल अब्दुलरहीम मौसवी ने हाल ही में सऊदी अरब के रक्षा मंत्री प्रिंस खालिद बिन सलमान बिन अब्दुल अजीज के साथ बातचीत की। इस वार्ता में दोनों देशों के बीच रक्षा संबंधों की समीक्षा की गई और क्षेत्रीय घटनाक्रमों के साथ-साथ सुरक्षा और स्थिरता बनाए रखने के प्रयासों पर चर्चा की गई।
मौसवी की पहली बातचीत
मौसवी के सशस्त्र बलों के चीफ ऑफ स्टाफ बनने के बाद यह उनकी सऊदी रक्षा मंत्री के साथ पहली फोन वार्ता थी। ईरान पर ज़ायोनी शासन के हमले में लेफ्टिनेंट जनरल मोहम्मद हुसैन बाघेरी की शहादत के बाद, इस्लामी क्रांति के नेता अयातुल्ला खामेनेई ने 13 जून को मौसवी को यह पद सौंपा था।
ईरान और सऊदी अरब की पुरानी दुश्मनी
ईरान और सऊदी अरब के बीच की दुश्मनी कई दशकों पुरानी है, जो राजनीतिक और धार्मिक दोनों कारणों से उत्पन्न हुई है। ईरान खुद को शिया मुसलमानों का नेता मानता है, जबकि सऊदी अरब सुन्नी मुसलमानों का प्रतिनिधित्व करता है। यह धार्मिक मतभेद दोनों देशों के बीच तनाव का मुख्य कारण है। 1979 में ईरान में इस्लामिक क्रांति के बाद यह दुश्मनी और बढ़ गई थी।
प्रॉक्सी वॉर का इतिहास
दोनों देश एक-दूसरे के खिलाफ प्रॉक्सी वॉर में शामिल रहे हैं। सीरिया, यमन, इराक और लेबनान में दोनों देशों ने एक-दूसरे के विरोधी गुटों को समर्थन दिया है। उदाहरण के लिए, यमन में ईरान हूती विद्रोहियों का समर्थन करता है, जबकि सऊदी अरब वहां की सरकार का समर्थन करता है। हालांकि, 2023 में चीन ने मध्यस्थता कर दोनों देशों के बीच कूटनीतिक संबंधों को बहाल करने की कोशिश की थी, लेकिन तनाव अभी भी बना हुआ है।