ईरान और रूस: पश्चिम एशिया में शक्ति संतुलन में बदलाव
ईरान और रूस का सहयोग
ईरान की स्थिति: अमेरिका द्वारा ईरान के परमाणु स्थलों पर हमलों के बाद, पश्चिम एशिया में युद्ध का संतुलन बदलता हुआ दिखाई दे रहा है। वर्तमान में, ईरान एक रक्षात्मक स्थिति में है, जबकि इजराइल को अमेरिका का समर्थन प्राप्त है। ऐसे में, ईरान की नजरें रूस और चीन से संभावित सहायता पर टिकी हुई हैं।
रूस की सहायता की पेशकश
रूस की मदद की संभावना
ईरानी विदेश मंत्री अब्बास अराघची इस समय रूस के दौरे पर हैं। इस दौरान, क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेसकोव ने एक प्रेस वार्ता में कहा कि रूस, ईरान को हर संभव सहायता देने के लिए तैयार है, बशर्ते तेहरान औपचारिक रूप से मदद मांगे। पेसकोव ने कहा, 'यह पूरी तरह इस बात पर निर्भर करता है कि ईरान को किस प्रकार की सहायता की आवश्यकता है। हमने मध्यस्थता की पेशकश की है, और यह हमारी ओर से समर्थन का प्रतीक है।'
सैन्य हस्तक्षेप की संभावना
सैन्य हस्तक्षेप की आशंका
यदि ईरान रूस से सीधे सैन्य सहयोग की मांग करता है और रूस की सेनाएं इस संघर्ष में शामिल होती हैं, तो यह स्थिति और भी गंभीर हो सकती है। पेसकोव ने स्पष्ट किया कि रूस ने इस मुद्दे पर अपना रुख स्पष्ट कर दिया है कि हम ईरान के साथ हैं।
पुतिन और ट्रंप के बीच बातचीत
पुतिन और ट्रंप के बीच हुई चर्चा
रूसी प्रवक्ता ने यह भी बताया कि राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच हाल ही में हुई बातचीत में ईरान-इजराइल युद्ध एक प्रमुख विषय रहा।
पुतिन और अराघची की मुलाकात
पुतिन की अराघची से मुलाकात
सोमवार को मास्को में पुतिन और अराघची की मुलाकात के दौरान, रूसी राष्ट्रपति ने कहा कि ईरान पर हो रहे हमले 'बिलकुल निराधार' हैं। इससे पहले, रूस ने अमेरिका और इजराइल द्वारा ईरान पर किए गए सैन्य हमलों की खुलकर निंदा की थी।
युद्ध में रूस की भूमिका
युद्ध में रूस की एंट्री से बदल सकता है समीकरण
विशेषज्ञों का मानना है कि यदि रूस इस युद्ध में शामिल होता है, तो इससे ईरान को सैन्य बल में मजबूती मिल सकती है। वर्तमान में, ईरान बैलिस्टिक मिसाइलों के माध्यम से इजराइल को जवाब दे रहा है, लेकिन रूस के शामिल होने पर वायु सुरक्षा प्रणाली और लड़ाकू विमानों की सहायता से ईरान को इजराइली हमलों से राहत मिल सकती है।
अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि क्या रूस इस संघर्ष में सैन्य रूप से सक्रिय भूमिका निभाता है या कूटनीतिक प्रयासों तक सीमित रहता है। इस निर्णय पर पूरे क्षेत्र की स्थिरता निर्भर करती है।