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इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने इरफान सोलंकी के मामले में सुनवाई पर रोक लगाई

इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने समाजवादी पार्टी के पूर्व विधायक इरफान सोलंकी के खिलाफ कानपुर में चल रहे वसूली और धोखाधड़ी के मामले की सुनवाई पर रोक लगा दी है। सोलंकी ने आरोप पत्र और समन को चुनौती दी थी। उनके वकील का कहना है कि सोलंकी निर्दोष हैं और उन्हें राजनीतिक दुश्मनी के कारण फंसाया गया है। अगली सुनवाई 17 नवंबर को होगी। इस मामले में और क्या जानकारी है, जानने के लिए पढ़ें पूरा लेख।
 

सुनवाई पर रोक का आदेश

इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने समाजवादी पार्टी के पूर्व विधायक इरफान सोलंकी के खिलाफ कानपुर में चल रहे वसूली और धोखाधड़ी के आपराधिक मामले की सुनवाई पर सोमवार को रोक लगा दी।


मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट समीर जैन ने सोलंकी की याचिका पर यह निर्णय लिया। सोलंकी ने आरोप पत्र और 15 नवंबर, 2022 को जारी समन को चुनौती देते हुए यह याचिका दायर की थी।


आपराधिक मामला और आरोप

इरफान सोलंकी और उनके सह-आरोपी रिजवान सोलंकी के खिलाफ कानपुर नगर के जाजमऊ थाने में 6 फरवरी, 2022 को भारतीय दंड संहिता की धारा 386 के तहत मामला दर्ज किया गया था।


प्राथमिकी में आरोप लगाया गया है कि सोलंकी अपने साथियों के साथ मिलकर कुछ गरीब लोगों की जमीन पर अवैध कब्जा करना चाहते थे। जब शिकायतकर्ता अकील अहमद ने इसका विरोध किया, तो आरोपियों ने उसे धमकाया और 10 लाख रुपये की मांग की।


सोलंकी का बचाव

इरफान सोलंकी के वकील ने अदालत में कहा कि उनके मुवक्किल निर्दोष हैं और उन्हें झूठे आरोपों में फंसाया गया है।


उन्होंने यह भी बताया कि शिकायतकर्ता द्वारा लगाए गए आरोप पूरी तरह से गलत हैं और सोलंकी उस समय विधायक थे, इसलिए राजनीतिक प्रतिशोध के कारण उन्हें निशाना बनाया गया।


अगली सुनवाई

याचिकाकर्ता के वकील और अपर शासकीय अधिवक्ता की दलीलें सुनने के बाद अदालत ने मामले की सुनवाई पर रोक लगा दी और अगली सुनवाई 17 नवंबर को निर्धारित की।