इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने आजम खान की याचिका को अन्य मामलों के साथ जोड़ा
इलाहाबाद उच्च न्यायालय का निर्णय
इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने रामपुर में जबरन बेदखली के मामले में समाजवादी पार्टी के नेता आजम खान द्वारा दायर याचिका को अन्य आरोपियों की याचिकाओं के साथ जोड़ने का निर्णय लिया है।
इस मामले में पूर्व सांसद मोहम्मद आजम खान सहित कई अन्य आरोपियों के खिलाफ पहले से 12 अलग-अलग प्राथमिकियां दर्ज की गई थीं। न्यायमूर्ति समित गोपाल ने आजम खान की याचिका को अन्य याचिकाओं के साथ संलग्न करते हुए इस मामले की सुनवाई की तारीख तीन जुलाई निर्धारित की है।
मामले का पृष्ठभूमि
11 जून को, इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने आजम खान और अन्य आरोपियों के खिलाफ जबरन बेदखली के मामले में दर्ज 12 प्राथमिकियों के समेकित मुकदमे पर अंतिम आदेश पारित करने पर रोक लगा दी थी। हालांकि, अदालत ने अधीनस्थ अदालत को मामले की सुनवाई जारी रखने का निर्देश दिया था।
यह मामला 15 अक्टूबर 2016 की एक घटना से संबंधित है, जिसमें यतीम खाना (वक्फ संख्या 157) नामक अनधिकृत ढांचे को ध्वस्त किया गया था। इस मामले में 2019 और 2020 के बीच रामपुर जिले के कोतवाली थाना में 12 प्राथमिकियां दर्ज की गई थीं।
अलग-अलग मुकदमे और आरोप
शुरुआत में इन प्राथमिकियों के लिए अलग-अलग मुकदमे चलाए गए थे, जिन्हें विशेष न्यायाधीश (सांसद/विधायक) रामपुर द्वारा 8 अगस्त 2024 को एक ही मुकदमे में समेकित किया गया। आरोपियों पर भारतीय दंड संहिता के तहत डकैती, घुसपैठ और आपराधिक षड्यंत्र के आरोप लगाए गए हैं।
11 जून को अदालत ने याचिकाकर्ताओं के वकील की दलीलें सुनने के बाद यह निर्णय लिया, जिसमें कहा गया कि अधीनस्थ अदालत जून के अंत तक मुकदमा निपटाने के लिए प्रतिबद्ध है, जिससे प्रक्रियात्मक निष्पक्षता पर सवाल उठता है।
याचिका की चुनौती
इस याचिका में अधीनस्थ अदालत के 30 मई 2025 के निर्णय को चुनौती दी गई है, जिसमें सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड के चेयरमैन जफर अहमद फारुकी सहित प्रमुख गवाहों को बुलाने और 2016 की बेदखली की घटना का वीडियोग्राफिक साक्ष्य पेश करने का अनुरोध खारिज कर दिया गया था। याचिकाकर्ताओं का कहना है कि फारुकी का यह साक्ष्य उनकी घटनास्थल पर अनुपस्थिति को साबित कर सकता है।