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इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने अवर अभियंता के निलंबन पर पुनर्विचार का दिया आदेश

इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने मुरादाबाद में ऊर्जा मंत्री के कार्यक्रम के दौरान बिजली कटौती के मामले में अवर अभियंता के निलंबन पर पुनर्विचार का आदेश दिया है। न्यायालय ने कहा कि निलंबन का आदेश बिना किसी जवाबदेही के जारी किया गया था। इस मामले में बिजली विभाग को निर्देश दिया गया है कि वह निलंबन के आदेश पर पुनर्विचार करे। यदि सरकार अपने आश्वासन पर खरा नहीं उतरती है, तो याचिकाकर्ता को अदालत का दरवाजा खटखटाने का अधिकार होगा।
 

मुरादाबाद में बिजली कटौती के मामले में न्यायालय का निर्णय

उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद में ऊर्जा मंत्री के कार्यक्रम के दौरान 10 मिनट के लिए बिजली की आपूर्ति बाधित होने के कारण निलंबित अवर अभियंता की याचिका पर सुनवाई करते हुए इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने कहा है कि याचिकाकर्ता को बिना किसी जवाबदेही के निलंबित करना उचित नहीं था।


न्यायमूर्ति सौरभ श्याम शमशेरी ने याचिका का निस्तारण करते हुए उत्तर प्रदेश बिजली विभाग को निर्देश दिया कि वह याचिकाकर्ता के निलंबन पर पुनर्विचार करे।


अवर अभियंता ललित कुमार द्वारा दायर रिट याचिका पर सुनवाई के दौरान, बिजली विभाग के वकील ने कहा कि पश्चिमांचल विद्युत वितरण निगम के प्रबंध निदेशक इस मामले की समीक्षा करेंगे।


यह घटना 20 जुलाई को हुई थी, जब ऊर्जा मंत्री के कार्यक्रम के दौरान बिजली 10 मिनट के लिए चली गई थी, जिसके बाद अवर अभियंता को लापरवाही के आरोप में निलंबित किया गया।


याचिकाकर्ता ने निलंबन के आदेश को उच्च न्यायालय में चुनौती दी, यह कहते हुए कि यह आदेश विभाग की कमियों को छिपाने के लिए जारी किया गया था।


बिजली विभाग के वकील ने आश्वासन दिया कि संबंधित अधिकारी मामले की पुनरावलोकन करेंगे और संभवतः निलंबन के आदेश पर पुनर्विचार किया जाएगा।


अदालत ने 25 अगस्त को अपने आदेश में कहा कि यदि सरकार अपने आश्वासन पर खरा नहीं उतरती है, तो याचिकाकर्ता को अदालत का दरवाजा खटखटाने का अधिकार होगा।