इलाहाबाद उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों ने प्रशांत कुमार के खिलाफ सर्वोच्च न्यायालय के आदेश पर बैठक की मांग की
प्रशांत कुमार के खिलाफ सर्वोच्च न्यायालय का आदेश
इलाहाबाद उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों के एक समूह ने न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार को लक्षित करने वाले सर्वोच्च न्यायालय के हालिया आदेश पर मुख्य न्यायाधीश अरुण भंसाली से एक पूर्ण बैठक आयोजित करने का अनुरोध किया है।
न्यायमूर्ति अरिंदम सिन्हा द्वारा लिखे गए पत्र में चार अगस्त, 2025 को पारित आदेश के प्रति खेद व्यक्त किया गया है, जिस पर सात न्यायाधीशों ने हस्ताक्षर किए हैं।
सर्वोच्च न्यायालय ने चार अगस्त को दिए गए अपने निर्णय में न्यायमूर्ति कुमार के न्यायिक तर्कों पर गंभीर टिप्पणियां की थीं और उच्च न्यायालय प्रशासन को उन्हें आपराधिक रोस्टर से हटाने का निर्देश दिया था।
इसके साथ ही, सर्वोच्च न्यायालय ने न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार को उनकी सेवानिवृत्ति तक एक वरिष्ठ न्यायाधीश के साथ एक खंडपीठ में रखने का भी आदेश दिया था। यह निर्देश न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति आर. महादेवन की पीठ ने ‘मेसर्स शिखर केमिकल्स’ द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया।
कंपनी ने एक वाणिज्यिक विवाद के संबंध में शुरू किए गए आपराधिक मुकदमे को रद्द करने की मांग करते हुए सर्वोच्च न्यायालय का रुख किया था। इससे पहले, इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने कंपनी की याचिका को खारिज कर दिया था।
न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार ने कहा था कि शिकायतकर्ता को दीवानी उपाय के लिए बाध्य करना ‘‘बहुत अनुचित’’ होगा और बकाया वसूली के लिए आपराधिक मुकदमा चलाने की अनुमति दी जा सकती है।
सर्वोच्च न्यायालय ने इस तर्क को यह कहते हुए पलट दिया कि, ‘‘हम इस आदेश के पैरा 12 में दिए गए तर्क को लेकर हैरान हैं... न्यायाधीश ने यह कहा कि शिकायतकर्ता को दीवानी मुकदमा चलाने के लिए कहना बहुत अनुचित होगा क्योंकि दीवानी मुकदमों में लंबा समय लगता है, इसलिए शिकायतकर्ता को बकाया वसूली के लिए आपराधिक मुकदमा दायर करने की अनुमति दी जा सकती है।’
सर्वोच्च न्यायालय ने इस दृष्टिकोण को ‘‘अस्थिर’’ मानते हुए उच्च न्यायालय के आदेश को दरकिनार कर दिया और निर्देश दिया कि इस मामले को एक अन्य न्यायाधीश द्वारा नए सिरे से सुना जाए।