इथियोपिया के ज्वालामुखी विस्फोट से उड़ानों पर असर
इथियोपिया का ज्वालामुखी विस्फोट
इथियोपिया ज्वालामुखी विस्फोट: 23 नवंबर को भारत से लगभग 13 घंटे की दूरी पर स्थित 10,000 साल पुराना हेली गुब्बी ज्वालामुखी अचानक फट गया। इसके परिणामस्वरूप निकलने वाली राख कई देशों के लिए चिंता का विषय बन गई है। विस्फोट के दौरान उठने वाला धुआं लगभग 18 किमी ऊंचाई तक पहुंच गया, जो लाल सागर को पार करते हुए यमन और ओमान तक फैल गया। अब इसकी राख भारत की ओर बढ़ रही है, जिससे सोमवार को उत्तर-पश्चिम भारत के कुछ हिस्सों में दृश्यता कम हो गई और राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र, दिल्ली-NCR और पंजाब के हवाई यातायात में रुकावट आई है.
DGCA की एडवाइजरी
DGCA ने जारी की एडवाइजरी
इथियोपिया के हेली गुब्बी ज्वालामुखी से निकली राख के बादल के कारण संभावित परिचालन चुनौतियों को देखते हुए, नागर विमानन महानिदेशालय (DGCA) ने एयरलाइंस और हवाई अड्डों के लिए एक एडवाइजरी जारी की है। इसमें ऑपरेटरों को सतर्क रहने, वास्तविक समय के अपडेट की निगरानी करने और आवश्यक सुरक्षा उपाय अपनाने का निर्देश दिया गया है.
जयपुर और उत्तरी एयरस्पेस पर चिंता
जयपुर सहित उत्तरी एयरस्पेस पर चिंता
राख का गुबार ओमान और यमन से आगे बढ़ते हुए राजस्थान की ओर आ रहा है। अधिकारियों के अनुसार, दिल्ली और जयपुर एयरस्पेस भी चिंता का विषय बन गए हैं। अधिकारियों ने राख के मूवमेंट पर कड़ी निगरानी रखी है। अनुमान लगाया जा रहा है कि यह राख का बादल आज रात 10 बजे तक तेजी से राजस्थान की ओर बढ़ेगा, जिससे हवाई उड़ानों में परेशानियां आ सकती हैं. मौसम विभाग ने चेतावनी दी है कि इन कणों के कारण आकाश सामान्य से अधिक गहरा और धुंधला दिखाई दे सकता है.
हवाई जहाजों को ऊंचाई पर उड़ान भरने की सलाह
हवाई जहाजों को ज्यादा ऊंचाई पर न जानें की दी सलाह
डीजीसीए ने एयरलाइंस के लिए एक अलग एडवाइजरी जारी की है, जिसमें उन्हें उन विशिष्ट ऊंचाइयों वाले क्षेत्रों से बचने का निर्देश दिया गया है जो राख से प्रभावित हैं। यह निर्देश उन हवाई अड्डों के लिए लागू है जो इन क्षेत्रों में आते हैं. साथ ही, रनवे पर रूट डायवर्जन की संभावना भी जताई गई है.
राख के बादल की विशेषताएँ
क्या है इस राख के बादल में?
हेली गुब्बी ज्वालामुखी की राख का गुबार 100-120 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से उत्तर भारत की ओर बढ़ रहा है। इस राख में 15,000 से 25,000 फीट और 45,000 फीट तक की ऊंचाई पर ज्वालामुखी राख, सल्फर डाइऑक्साइड, और कांच और चट्टान के छोटे कण शामिल हैं। इसकी मोटी परत के कारण ये कण दिखाई नहीं देते हैं.
एयरलाइंस पर प्रभाव
प्रमुख एयरलाइंस की सेवाएं प्रभावित
इस बढ़ती राख के कारण हवाई सेवाओं पर असर पड़ा है। अब तक, अकासा एयर, इंडिगो और केएलएम जैसी कई एयरलाइंस ने अपनी उड़ानें रद्द कर दी हैं। डिगो की कन्नूर-अबू धाबी उड़ान (6E 1433) ने किसी भी बुरी स्थिति से बचने के लिए रूट बदला है और इसे अहमदाबाद डायवर्ट किया गया है.
एयर इंडिया की प्रतिक्रिया
एयर इंडिया सहित एयरलाइंस आई एक्शन मोड में
डीजीसीए की एडवाइजरी के बाद एयरलाइंस भी एक्शन मोड में हैं। एयर इंडिया ने भी स्थिति की बारीकी से निगरानी करने और यात्रियों और चालक दल की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सभी आवश्यक एहतियाती कदम उठाने की बात कही है. इसके अलावा, अकासा एयर ने भी अपने यात्रियों को अपडेट साझा करते हुए कहा है कि उनकी सुरक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता है.
ज्वालामुखी की सक्रियता
10,000 साल बाद सक्रिय हुआ ज्वालामुखी
टूलूज़ ज्वालामुखी राख सलाहकार केंद्र (Toulouse VAAC) के अनुसार, यह विस्फोट रविवार को सुबह लगभग 8:30 बजे UTC पर शुरू हुआ। यह ज्वालामुखी इथियोपिया के एर्टा एले रेंज में स्थित है और लगभग 10,000 से 12,000 साल तक निष्क्रिय रहने के बाद अचानक सक्रिय हुआ है.