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इटावा में कथावाचक का सिर मुंडवाने की घटना पर राजनीतिक हलचल

उत्तर प्रदेश के इटावा जिले में एक कथावाचक का सिर मुंडवाने की घटना ने राजनीतिक विवाद को जन्म दिया है। इस घटना के बाद पुलिस ने चार लोगों को गिरफ्तार किया है। पीड़ित कथावाचक ने आरोप लगाया कि उसे जाति पूछने के बाद प्रताड़ित किया गया। समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव ने इस पर तीखी प्रतिक्रिया दी है और न्याय की मांग की है। जानें इस घटना के पीछे की पूरी कहानी और राजनीतिक प्रतिक्रियाएँ।
 

इटावा में विवादास्पद घटना

उत्तर प्रदेश के इटावा जिले के दांदरपुर गांव में ब्राह्मण समुदाय के सदस्यों द्वारा यादव जाति के एक कथावाचक और उसके साथी का सिर मुंडवाने की घटना ने राजनीतिक विवाद को जन्म दिया है। पुलिस के एक अधिकारी ने बताया कि इस घटना का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ, जिसके बाद पुलिस ने मुख्य आरोपी सहित चार व्यक्तियों को गिरफ्तार कर लिया है। यह घटना रविवार और सोमवार की रात के बीच हुई। इटावा के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) बृजेश कुमार श्रीवास्तव ने पत्रकारों को बताया कि कथावाचक की शिकायत पर बकेवर थाने में मामला दर्ज किया गया है। उन्होंने कहा कि मुख्य आरोपी के साथ चार अन्य को गिरफ्तार किया गया है और घटना की जांच के लिए अपर पुलिस अधीक्षक को नियुक्त किया गया है। एसएसपी ने बताया कि दूसरे पक्ष का कहना है कि कथावाचकों ने अपनी जाति छिपाई थी।




इस बीच, पीड़ित कथावाचक ने पत्रकारों से बातचीत में कहा, ''मैं पहले एक निजी स्कूल चलाता था, लेकिन सरकार ने उसे बंद करवा दिया, जिसके बाद मैंने भागवत कथा करना शुरू किया और मुकुट मणि का सहायक बन गया।'' उन्होंने बताया, ''हमें 21 जून से दांदरपुर गांव में भागवत कथा के लिए बुलाया गया था। हमारी जाति पूछी गई और उसके बाद मुझे पूरी रात प्रताड़ित किया गया और मेरे बाल मुंडवा दिए गए।'' इस घटना को लेकर समाजवादी पार्टी का एक प्रतिनिधिमंडल पीड़ितों से मिलने एसएसपी के पास गया और न्याय की मांग की।




समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने इस घटना पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। उन्होंने चेतावनी दी है कि यदि तीन दिनों के भीतर उचित कार्रवाई नहीं की गई, तो 'पीडीए के मान-सम्मान की रक्षा' के लिए एक बड़ा आंदोलन किया जाएगा। आज अखिलेश यादव ने लखनऊ में सपा कार्यालय में इटावा के पीड़ित कथावाचकों का सम्मान किया और उन्हें 21-21 हजार रुपये की सहायता दी। इसके साथ ही समाजवादी पार्टी की ओर से 51-51 हजार रुपये की आर्थिक मदद देने की भी घोषणा की गई। इस दौरान कथावाचकों से कथा सुनने के बाद अखिलेश यादव ने सवाल उठाया कि यदि भागवत कथा सभी सुन सकते हैं, तो सभी बोल क्यों नहीं सकते?