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इंदौर में किन्नरों के विवाद के चलते 24 ने एक साथ जहर पिया

मध्य प्रदेश के इंदौर में किन्नरों के बीच चल रहे विवाद के चलते 24 किन्नरों ने एक साथ जहर पी लिया। इस घटना में कुछ की हालत गंभीर है। पुलिस ने दो आरोपियों को हिरासत में लिया है। जानें इस विवाद की जड़ और पुलिस की कार्रवाई के बारे में।
 

इंदौर में किन्नरों का विवाद और जहर पीने की घटना

मध्य प्रदेश के इंदौर से एक चौंकाने वाली घटना सामने आई है। नंदलालपुरा क्षेत्र में किन्नरों के बीच चल रहे विवाद के चलते लगभग 24 किन्नरों ने सामूहिक रूप से जहर पी लिया। इनमें से 3-4 की स्थिति गंभीर बताई जा रही है। यह कदम किन्नरों के दो गुटों के बीच आपसी झगड़े के कारण उठाया गया है।


पुलिस अधिकारी तुरंत घटनास्थल पर पहुंचे और एंबुलेंस के माध्यम से सभी किन्नरों को एमवाय अस्पताल भेजा गया। जिन दो व्यक्तियों के कारण यह घटना हुई, उन्हें पुलिस ने हिरासत में ले लिया है।


इससे पहले, मंगलवार (14 अक्टूबर) को एक किन्नर ने दो 'ठग पत्रकारों' के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी। पंढरीनाथ थाना पुलिस ने इस शिकायत के आधार पर आरोपियों के खिलाफ रेप, मारपीट और धमकी देने के आरोप में मामला दर्ज किया है।


पुलिस के अनुसार, किन्नर ने अपनी शिकायत में बताया कि 30 मई 2025 को उसके गुरु के खिलाफ एफआईआर दर्ज हुई थी। इसके बाद 12 जून को आरोपी पंकज जैन अपने साथी अक्षय के साथ उसके डेरे पर आया। आरोप है कि पंकज ने किन्नर पर जबरन संबंध बनाने का दबाव डाला और मना करने पर समाज को बदनाम करने और पुलिस कार्रवाई में एनकाउंटर कराने की धमकी दी।


पीड़ित किन्नर का कहना है कि पंकज ने उसे पहली मंजिल पर ले जाकर जबरन संबंध बनाए और बाद में धमकी दी कि अगर उसने यह बात किसी को बताई तो गंभीर परिणाम भुगतने होंगे। इस घटना के बाद, पीड़ित ने अपने गुरु को जानकारी दी और फिर थाने जाकर लिखित शिकायत दी।


एसीपी देशेस अग्रवाल ने बताया कि नंदलालपुरा स्थित किन्नर समाज के डेरे पर हंगामे की सूचना मिली थी। मौके पर पाया गया कि किन्नरों ने जहरीली वस्तु का सेवन किया है। सभी को तुरंत एमवाय अस्पताल भेजा गया। अब सभी किन्नरों के बयान लिए जाएंगे और जो भी तथ्य सामने आएंगे, उसके आधार पर कार्रवाई की जाएगी।


यह भी ध्यान देने योग्य है कि किन्नरों के दो गुटों के बीच संपत्ति को लेकर विवाद चल रहा है। गद्दी को लेकर पायल और सीमा गुरु के लोग कई बार आमने-सामने आ चुके हैं। इस मामले में सीपी संतोष सिंह ने एसआईटी का गठन किया था, लेकिन तीन महीने बाद भी कोई ठोस परिणाम नहीं निकला है.