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आवारा कुत्तों के बढ़ते खतरे: जानें क्या करें और कैसे बचें

आवारा कुत्तों के बढ़ते खतरे ने सुप्रीम कोर्ट का ध्यान आकर्षित किया है। देशभर में कुत्तों के काटने के लाखों मामले सामने आए हैं, जिससे रेबीज़ का खतरा बढ़ गया है। जानें कि कुत्ता काटने पर क्या करें, किस प्रकार की सावधानियाँ बरतें और उपचार के लिए कितने इंजेक्शन आवश्यक हैं। यह जानकारी आपके और आपके बच्चों की सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण है।
 

आवारा कुत्तों का बढ़ता खतरा

कुत्ते को मानव का सबसे वफादार साथी माना जाता है, लेकिन अब शहरी क्षेत्रों में आवारा कुत्तों के समूह एक नई समस्या बनते जा रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट ने इस मुद्दे पर ध्यान दिया है और इसे "चिंताजनक और डरावना" करार दिया है। देशभर में कुत्तों के काटने के 37 लाख से अधिक मामले दर्ज किए गए हैं, और सबसे बड़ी चिंता रेबीज़ का खतरा है। एक बार अगर रेबीज़ हो गया, तो इससे बचना कठिन हो जाता है, खासकर बच्चों के लिए, जिनकी छोटी ऊंचाई के कारण चेहरे या सिर के करीब चोटें लगने की संभावना अधिक होती है, जिससे संक्रमण तेजी से मस्तिष्क तक पहुँच सकता है.


कुत्ता काटने के बाद क्या करें?

यदि किसी को कुत्ता काट ले, तो घबराने की आवश्यकता नहीं है, बल्कि समय पर उपचार और कुछ सावधानियाँ बरतने की जरूरत है। सबसे महत्वपूर्ण यह है कि "99% संक्रमण का खतरा घाव को अच्छी तरह धोने से टल जाता है।"


  • 15-20 मिनट तक धोएं: कुत्ता काटने के तुरंत बाद, घाव को कम से कम 15-20 मिनट तक बहते पानी (रनिंग वॉटर) में अच्छी तरह धोना आवश्यक है। यह संक्रमण को फैलने से रोकने का सबसे पहला और प्रभावी तरीका है।
  • एंटीसेप्टिक लगाएं: घाव को धोने के बाद उस पर कोई भी एंटीसेप्टिक जैसे पोटाश या डेटॉल लगाएं।


कितने इंजेक्शन लगते हैं और कौन से 8 दिन हैं अहम?

डॉक्टरों के अनुसार, कुत्ते के काटने के बाद पहले आठ दिन बहुत महत्वपूर्ण होते हैं। इसलिए:


  • पहली डोज तुरंत लें: जिस दिन कुत्ते ने काटा हो, उसी दिन एंटी-रेबीज़ वैक्सीन (ARV) की पहली डोज ले लेनी चाहिए। इसमें लापरवाही जानलेवा हो सकती है।
  • इम्युनोग्लोबुलिन इंजेक्शन: यदि कुत्ते ने गहरा घाव दिया है, तो डॉक्टर से इम्युनोग्लोबुलिन इंजेक्शन भी लगवाना चाहिए। यह रेबीज़ के वायरस को शरीर में फैलने से रोकने में मदद करता है।


याद रखें, समय पर सावधानी और सही उपचार ही रेबीज़ जैसे जानलेवा संक्रमण से बचाव का एकमात्र तरीका है। अपने आस-पास के लोगों और बच्चों को इस विषय में जागरूक करें।