आरबीआई का हस्तक्षेप: रुपये में आई तेजी, डॉलर का दबाव कम हुआ
आरबीआई ने किया हस्तक्षेप
रुपये की गिरावट को रोकने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने करेंसी बाजार में हस्तक्षेप किया। पिछले पांच दिनों में रुपये में भारी गिरावट आई थी, और एक डॉलर की कीमत 91 रुपये के पार पहुंच गई थी। यह पहली बार था जब डॉलर का इतना दबाव भारतीय अर्थव्यवस्था पर पड़ा। आरबीआई ने बुधवार को एक महत्वपूर्ण कदम उठाया, जिससे रुपये में दो महीने की सबसे बड़ी तेजी देखने को मिली। मंगलवार के 91.0275 के बंद भाव से रुपये में 0.7 फीसदी की वृद्धि हुई, और यह 90.38 अमेरिकी डॉलर पर बंद हुआ। व्यापारियों का कहना है कि जैसे ही बाजार खुला, रुपये में उछाल शुरू हो गया।
आरबीआई का आक्रामक कदम
आरबीआई ने सरकारी बैंकों के माध्यम से डॉलर की बिक्री की, जिससे रुपये में सुधार हुआ। रिलायंस सिक्योरिटीज के सीनियर रिसर्च एनालिस्ट जिगर त्रिवेदी ने बताया कि यह कदम रुपये की गिरावट को रोकने के लिए उठाया गया था। उन्होंने कहा कि आरबीआई का यह तात्कालिक कदम रुपये की गिरावट को रोकने के लिए आवश्यक था।
आरबीआई के हस्तक्षेप के बाद रुपये में दिन के दौरान 1 फीसदी तक की वृद्धि हुई, जो पिछले सात महीनों में इसकी सबसे बड़ी वृद्धि है। यह कदम हाल के हफ्तों में रुपये के रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंचने के बाद उठाया गया है।
रुपये पर दबाव बना हुआ है
बुधवार को आई तेजी से पहले, दिसंबर में रुपये में लगभग 2 फीसदी की गिरावट आई थी, जिससे यह वर्ष की सबसे खराब प्रदर्शन करने वाली एशियाई करेंसी बन गई। इस गिरावट के पीछे अमेरिका-भारत व्यापार समझौते में देरी, विदेशी निवेशकों की मुनाफावसूली और स्थानीय कंपनियों की डॉलर की बढ़ती मांग प्रमुख कारण हैं।
रॉयटर्स के आंकड़ों के अनुसार, नवंबर में आयातकों की मांग काफी अधिक रही, जबकि निर्यातकों ने इसमें कमी की, जिससे रुपये पर दबाव बना रहा। इस वर्ष विदेशी निवेशकों ने भारतीय शेयरों से लगभग 18 अरब डॉलर निकाले हैं।
क्या अब चिंता की कोई बात नहीं?
रुपये की गिरावट ने बाजारों में अस्थिरता पैदा कर दी थी, खासकर जब यह 91 के स्तर को पार कर गया। ट्रस्टलाइन होल्डिंग्स के सीईओ एन. अरुणा गिरि ने कहा कि इस घटना ने चिंता बढ़ाई, लेकिन यह किसी बड़े संकट का संकेत नहीं है। उन्होंने बताया कि आरबीआई के हस्तक्षेप के बाद स्थिति स्थिर हो गई है।
डॉलर की मजबूती से बढ़त सीमित
हालांकि आरबीआई के हस्तक्षेप से रुपये पर तत्काल दबाव कम हुआ है, लेकिन विश्लेषकों ने चेतावनी दी है कि अमेरिका के साथ व्यापार वार्ता पर स्पष्टता आने तक आगे की बढ़त सीमित रह सकती है। बुधवार को डॉलर की मजबूती का असर अधिकांश एशियाई करेंसी पर बना रहा।