आरएसएस महासचिव का बयान: प्रतिबंध लगाने के लिए ठोस कारण होना चाहिए
आरएसएस महासचिव का स्पष्ट संदेश
आरएसएस महासचिव दत्तात्रेय होसबोले
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के महासचिव दत्तात्रेय होसबोले ने स्पष्ट किया है कि किसी की इच्छा से संगठन पर प्रतिबंध नहीं लगाया जा सकता। जबलपुर में आरएसएस की तीन दिवसीय अखिल भारतीय कार्यकारिणी की बैठक के समापन पर उन्होंने पत्रकारों से बातचीत की। उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के उस बयान पर प्रतिक्रिया दी, जिसमें उन्होंने संघ पर प्रतिबंध लगाने की बात कही थी। दत्तात्रेय ने कहा कि इस तरह की मांगें पहले भी की गई हैं, लेकिन समाज और अदालत ने हमेशा संघ के काम को बढ़ने दिया है।
उन्होंने कहा कि किसी संगठन पर प्रतिबंध लगाने के लिए ठोस कारण होना चाहिए। यदि कोई नेता यह कहता है कि भारत की एकता और संस्कृति के लिए काम करने वाले संगठन पर प्रतिबंध लगाना चाहिए, तो उसे इसके पीछे का कारण भी बताना चाहिए।
दत्तात्रेय ने कहा कि समाज ने आरएसएस को स्वीकार किया है और सरकारी व्यवस्था ने भी ऐसे प्रतिबंधों को गलत माना है। उन्होंने कहा कि जो लोग अब प्रतिबंध की मांग कर रहे हैं, उन्हें पिछले अनुभवों से सीख लेनी चाहिए।
कांग्रेस अध्यक्ष खरगे ने कहा कि यह उनकी व्यक्तिगत राय है कि आरएसएस पर प्रतिबंध लगना चाहिए। उन्होंने आरोप लगाया कि कानून-व्यवस्था की समस्याएं भाजपा और आरएसएस के कारण उत्पन्न हो रही हैं।
जब उनसे पूछा गया कि आरएसएस की बैठक में बिहार या पश्चिम बंगाल चुनावों पर चर्चा हुई या नहीं, तो दत्तात्रेय ने कहा कि आगामी बिहार चुनाव पर कोई चर्चा नहीं हुई। लेकिन संघ का रुख स्पष्ट है कि लोगों को वोट देने के लिए जागरूक किया जाना चाहिए।
बिहार में मतदान 6 और 11 नवंबर को होंगे, जबकि मतों की गिनती 14 नवंबर को होगी।
पश्चिम बंगाल की स्थिति पर दत्तात्रेय ने कहा कि वहां की स्थिति गंभीर है। उन्होंने बताया कि पिछले चुनावों के बाद राजनीतिक नेतृत्व के कारण नफरत और वैमनस्य फैला है। आरएसएस के स्वयंसेवक वहां सामाजिक एकता को मजबूत करने के लिए काम कर रहे हैं।