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आरएसएस के शताब्दी वर्ष पर मोहन भागवत का पथ संचलन निरीक्षण

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के शताब्दी वर्ष के उपलक्ष्य में मोहन भागवत ने वार्षिक पथ संचलन का निरीक्षण किया। इस अवसर पर उन्होंने संघ प्रार्थना की ऑडियो रिकॉर्डिंग जारी की और देश के प्रति भक्ति और सेवा का संदेश दिया। जानें इस महत्वपूर्ण कार्यक्रम के बारे में और भागवत के विचारों को।
 

आरएसएस का वार्षिक पथ संचलन

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भागवत ने शनिवार को संघ के शताब्दी वर्ष के अवसर पर स्वयंसेवकों के वार्षिक पथ संचलन का निरीक्षण किया।


आरएसएस की स्थापना 1925 में केशव बलिराम हेडगेवार द्वारा नागपुर में की गई थी। इस कार्यक्रम में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस और राजस्व मंत्री चंद्रशेखर बावनकुले भी शामिल हुए। आमतौर पर, आरएसएस का पथ संचलन विजयादशमी या दशहरा के दिन आयोजित होता है, लेकिन इस बार इसे त्योहार से पहले आयोजित किया गया।


पथ संचलन तीन स्थानों - कस्तूरचंद पार्क, यशवंत स्टेडियम और विदर्भ हॉकी ग्राउंड से शुरू हुआ और सभी स्वयंसेवक वेरायटी स्क्वायर पर एकत्र हुए, जहां भागवत ने संयुक्त पंथसंचलन का निरीक्षण किया। इस अवसर पर भागवत ने संघ प्रार्थना की ऑडियो रिकॉर्डिंग भी जारी की।


संघ प्रमुख ने अपने संबोधन में कहा कि संघ प्रार्थना भारत माता के प्रति भक्ति, प्रेम और समर्पण का प्रतीक है। यह प्रार्थना इस बात की है कि हम देश को क्या दे सकते हैं और फिर ईश्वर से मदद की प्रार्थना करते हैं कि वह हमें देश की सेवा में सहायता करें।