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आपातकाल की 50वीं वर्षगांठ पर केंद्रीय कैबिनेट की महत्वपूर्ण बैठक

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में केंद्रीय कैबिनेट ने आपातकाल की 50वीं वर्षगांठ मनाने का निर्णय लिया। इस अवसर पर, कैबिनेट ने कई महत्वपूर्ण विकास पहलों को मंजूरी दी, जिसमें पुणे मेट्रो विस्तार, झरिया मास्टर प्लान और आगरा में अंतर्राष्ट्रीय आलू केंद्र शामिल हैं। यह बैठक लोकतांत्रिक सिद्धांतों के क्षरण को भी याद करती है, जो 1974 में शुरू हुआ था।
 

आपातकाल की 50वीं वर्षगांठ का स्मरण

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय कैबिनेट ने बुधवार को आपातकाल की 50वीं वर्षगांठ मनाने का निर्णय लिया। इस अवसर पर, कैबिनेट ने उन सभी नागरिकों को श्रद्धांजलि अर्पित की, जिन्होंने आपातकाल के दमनकारी शासन और भारतीय संविधान के मूल सिद्धांतों को दबाने के प्रयासों के खिलाफ साहसिकता दिखाई। कैबिनेट ने यह स्वीकार किया कि 1974 में लोकतांत्रिक सिद्धांतों का क्षरण शुरू हुआ, जो नवनिर्माण आंदोलन और संपूर्ण क्रांति अभियान पर कार्रवाई के साथ जुड़ा था। इस संदर्भ में, बैठक के दौरान दो मिनट का मौन भी रखा गया।  


कैबिनेट की अन्य महत्वपूर्ण घोषणाएँ

इस ऐतिहासिक अवसर को याद करने के साथ ही, कैबिनेट ने कई महत्वपूर्ण विकास पहलों को भी मंजूरी दी। केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने इस सत्र में लिए गए तीन प्रमुख निर्णयों की जानकारी दी। 


पुणे मेट्रो विस्तार: पुणे में मेट्रो नेटवर्क के विस्तार के लिए 3,626 करोड़ रुपये का आवंटन स्वीकृत किया गया है, जिससे शहरी गतिशीलता और बुनियादी ढांचे के विकास में सुधार होगा।


संशोधित झरिया मास्टर प्लान: झारखंड के झरिया में भूमिगत कोयला आग की समस्या को हल करने के लिए, प्रभावित समुदायों को राहत प्रदान करने और पर्यावरण संतुलन को बहाल करने के लिए 5,940 करोड़ रुपये की संशोधित योजना को मंजूरी दी गई।


आगरा में अंतर्राष्ट्रीय आलू केंद्र: कृषि क्षेत्र में एक नई पहल के तहत, मंत्रिमंडल ने आगरा में अंतर्राष्ट्रीय आलू केंद्र की स्थापना के लिए 111 करोड़ रुपये की स्वीकृति दी। इस कदम से देशभर में आलू की खेती में नवाचार और उत्पादकता को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है। 


संविधान हत्या दिवस के 50 वर्ष: वैष्णव ने बताया कि वर्ष 2025 में संविधान हत्या दिवस के 50 वर्ष पूरे होंगे, जो भारत के इतिहास का एक महत्वपूर्ण अध्याय है, जिसमें संविधान को नष्ट किया गया, गणतंत्र और लोकतांत्रिक मूल्यों पर हमला किया गया, संघवाद को कमजोर किया गया और मौलिक अधिकारों, मानव स्वतंत्रता और गरिमा को निलंबित किया गया।