आजम खान की भावुकता: जेल से रिहाई के बाद की कहानी
आजम खान का नया अध्याय
सपा के वरिष्ठ नेता आजम खान
आजम खान, जो कभी उत्तर प्रदेश की राजनीति में एक मजबूत आवाज माने जाते थे, अब एक अलग ही स्थिति में हैं। उनकी रिहाई के बाद, वह लगातार इंटरव्यू दे रहे हैं और जेल में बिताए समय के अनुभव साझा कर रहे हैं। आजम का कहना है कि उन्हें किसी से कोई शिकायत नहीं है और वह अपने विरोधियों को भी संदेश देना नहीं भूलते। उनका यह कहना कि वह अभी खत्म नहीं हुए हैं, उनके आत्मविश्वास को दर्शाता है।
भावुकता का कारण
आजम खान ने अपनी राजनीतिक यात्रा के बारे में बताते हुए कहा कि 40-45 साल की राजनीति में वह लखनऊ में एक घर तक नहीं खरीद सके। जेल से रिहाई के बाद, उन्हें एक गेस्ट हाउस में रहने की अनुमति नहीं मिली, जिससे वह काफी दुखी हैं। उनकी आंखों में आंसू आ जाते हैं जब वह अपने दर्द को साझा करते हैं।
उत्तर प्रदेश की राजनीति में आजम की स्थिति में आए इस बदलाव ने कई लोगों को चौंका दिया है। उनके आक्रामक स्वभाव के विपरीत, अब वह भावुक होते नजर आ रहे हैं।
क्या आजम कमजोर हो गए हैं?
जेल जाने के बाद से आजम की राजनीतिक पकड़ कमजोर हुई है। विशेषज्ञों का मानना है कि वह लोगों की सहानुभूति प्राप्त करना चाहते हैं और फिर से राजनीतिक मैदान में लौटना चाहते हैं। आजम खान, जो कभी मुस्लिम वोटबैंक के लिए जाने जाते थे, अब अपनी स्थिति को पुनः स्थापित करने के लिए प्रयासरत हैं।
रामपुर से 10 बार विधायक रह चुके आजम खान, सपा के संस्थापक मुलायम सिंह यादव के करीबी रहे हैं। हालांकि, 2017 में बीजेपी के सत्ता में आने के बाद उनकी स्थिति में गिरावट आई। उनके खिलाफ कई आपराधिक मामले दर्ज हुए हैं, जिनमें से कुछ गंभीर आरोप भी शामिल हैं।
2022 में हेट स्पीच मामले में दोषी ठहराए जाने के बाद, आजम ने विधानसभा सदस्यता खो दी। फिर भी, उनकी लोकप्रियता रामपुर में बनी रही। 2022 के विधानसभा चुनावों में, उन्होंने जेल में रहते हुए भी जीत हासिल की।
2022 की हार का प्रभाव
कानूनी चुनौतियों ने आजम खान के राजनीतिक भविष्य को प्रभावित किया है। 2022 के रामपुर उपचुनाव में बीजेपी ने बड़ी जीत दर्ज की, जो आजम के लिए एक बड़ा झटका था। अब, आजम के लिए अपनी राजनीतिक विरासत को बनाए रखना चुनौतीपूर्ण हो गया है।
चुनावी आंकड़े बताते हैं कि जब आजम जेल में थे, तब भी सपा को मुस्लिम मतदाताओं का समर्थन मिला। यह दर्शाता है कि आजम का प्रभाव अब पहले जैसा नहीं रहा।