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आचार्य धीरेंद्र शास्त्री की पदयात्रा: हिंदू एकता का नया अध्याय

दिल्ली में आचार्य धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री की सनातन हिंदू एकता पदयात्रा का दूसरा दिन है। यह यात्रा हिंदू समाज को एकजुट करने और सनातन धर्म के मूल्यों को बढ़ावा देने का प्रयास कर रही है। शास्त्री ने इस यात्रा के माध्यम से हिंदू राष्ट्र के सपने को साकार करने का संकल्प लिया है। जानें इस यात्रा के उद्देश्य और भविष्य के बारे में, जो हजारों लोगों को प्रेरित कर रही है।
 

दिल्ली में पदयात्रा का दूसरा दिन

दिल्ली में बागेश्वर धाम के प्रमुख आचार्य धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री की सनातन हिंदू एकता पदयात्रा का आज दूसरा दिन है। यह यात्रा शुक्रवार को दक्षिण दिल्ली के छतरपुर स्थित आद्या कात्यायनी शक्तिपीठ से आरंभ हुई थी और इसका समापन 16 नवंबर को वृंदावन के श्री बांके बिहारी मंदिर में होगा। इस यात्रा ने न केवल लोगों का ध्यान आकर्षित किया है, बल्कि हिंदू एकता के प्रति एक नई ऊर्जा भी प्रदान की है।


धीरेंद्र शास्त्री का प्रेरणादायक संदेश

पदयात्रा के दूसरे दिन, आचार्य धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने उत्साह से कहा, "यह यात्रा सात शपथों के साथ शुरू हुई है, जिसका उद्देश्य हिंदू एकता को मजबूत करना है। आज देश का हिंदू समाज एकजुट हो रहा है और सड़कों पर उतर रहा है। मुझे विश्वास है कि भारत एक दिन हिंदू राष्ट्र बनेगा।" उन्होंने यह भी कहा, "जब तक भारत हिंदू राष्ट्र नहीं बन जाता, हम चलते रहेंगे। हम तब तक नहीं रुकेंगे जब तक हमारा यह सपना पूरा नहीं हो जाता।" उनके इस वक्तव्य ने यात्रा में शामिल लोगों में जोश भर दिया।


हम एक परिवार हैं

पदयात्रा में उमड़ी भीड़ के बारे में पूछे जाने पर, धीरेंद्र शास्त्री ने मजाक में कहा, "ये सभी बागेश्वर धाम के भक्त हैं। हम नेता नहीं हैं और ये लोग कोई जनता नहीं, बल्कि हमारे परिवार के सदस्य हैं।" उन्होंने स्पष्ट किया कि यह यात्रा किसी राजनीतिक दल के समर्थन या विरोध में नहीं है, बल्कि यह केवल हिंदू एकता और बांके बिहारी के दर्शन के लिए है। उनके इस बयान ने यह दर्शाया कि यह यात्रा आध्यात्मिक और सामाजिक एकता का प्रतीक है।


यात्रा का उद्देश्य और भविष्य

यह पदयात्रा हिंदू समाज को एकजुट करने का प्रयास कर रही है और सनातन धर्म के मूल्यों को भी बढ़ावा दे रही है। धीरेंद्र शास्त्री के नेतृत्व में यह यात्रा दिल्ली से वृंदावन तक का सफर तय करेगी, जिसमें हजारों लोग शामिल हो रहे हैं। यह यात्रा धार्मिक महत्व के साथ-साथ सामाजिक एकता का संदेश भी दे रही है। जैसे-जैसे यह यात्रा आगे बढ़ रही है, यह लोगों के बीच उत्साह और जोश का संचार कर रही है।