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अहमदाबाद विमान दुर्घटना: सभी शवों की पहचान और मानसिक स्वास्थ्य सहायता

अहमदाबाद में एयर इंडिया के बोइंग ड्रीमलाइनर विमान की दुर्घटना के बाद सभी शवों की पहचान की जा चुकी है। स्वास्थ्य विभाग ने बताया कि 253 शवों की पहचान डीएनए से की गई है। इस घटना ने मृतकों के परिवारों में शोक और अविश्वास का माहौल पैदा कर दिया है। मनोचिकित्सक परिवारों को मानसिक सहारा देने के लिए अस्पताल में तैनात हैं। जानें इस त्रासदी के बाद परिवारों की स्थिति और मानसिक स्वास्थ्य सहायता के प्रयासों के बारे में।
 

अहमदाबाद में विमान दुर्घटना का दुखद परिणाम

अहमदाबाद में एयर इंडिया के बोइंग ड्रीमलाइनर विमान के दुर्घटनाग्रस्त होने के बाद सभी शवों को बरामद कर लिया गया है। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने जानकारी दी है कि अब तक 253 शवों की पहचान डीएनए परीक्षण के माध्यम से की गई है, जबकि छह शवों की पहचान चेहरे के आधार पर की गई है। 12 जून को लंदन के लिए उड़ान भरने वाले इस विमान के हादसे के बाद से कुल मृतकों की संख्या के बारे में कोई आधिकारिक जानकारी नहीं दी गई है। अधिकारियों का कहना है कि डीएनए मिलान के बाद ही सही आंकड़े सामने आ सकेंगे।


परिवारों का दुख और मानसिक स्वास्थ्य सहायता

इस विनाशकारी घटना के बाद, शहर में शोक और अविश्वास का माहौल बना हुआ है। मृतकों के परिवार के सदस्य सिविल अस्पताल में किसी उत्तर या सांत्वना की तलाश में पहुंचे हैं। इस दौरान कई भावनात्मक दृश्य देखने को मिले, जैसे एक पति अपनी पत्नी को खोने के बाद अपराध बोध से ग्रस्त था, और एक पिता अपने बेटे की मौत को स्वीकार करने से इनकार कर रहा था। मनोचिकित्सक इन परिवारों के साथ सहानुभूति से पेश आ रहे थे।


बी जे मेडिकल कॉलेज के मनोचिकित्सा विभाग ने तुरंत कार्रवाई करते हुए पांच सीनियर रेजिडेंट और पांच परामर्शदाताओं की टीम को अस्पताल में तैनात किया। उनका उद्देश्य उन परिवारों को मानसिक सहारा प्रदान करना है जो इस त्रासदी के बाद मानसिक आघात का सामना कर रहे हैं।


मृतकों की पहचान और परिवारों की उम्मीदें

अब तक 259 पीड़ितों की पहचान की जा चुकी है, जिनमें 199 भारतीय और 60 विदेशी नागरिक शामिल हैं। 256 शवों को उनके परिवारों को सौंप दिया गया है। बीजेएमसी की डीन डॉ. मीनाक्षी पारीख ने कहा कि यह दुर्घटना अकल्पनीय थी और आसपास के लोग भी इससे प्रभावित थे।


उन्होंने बताया कि एक जीवित बचे व्यक्ति की खबर ने कई रिश्तेदारों की उम्मीदें बढ़ा दी थीं। हालांकि, सच्चाई को स्वीकार करना उनके लिए कठिन था। डॉ. उर्विका पारीख ने कहा कि परिवार के सदस्य लगातार ताजा जानकारी मांगते रहे और यह स्वीकार करने में कठिनाई महसूस कर रहे थे कि उनके प्रियजन अब नहीं रहे।